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श्रुतसागर
मे-जून-२०१५ चऊदसुपन लहइ तेणी वारा, जागी रानी हरख आपा]रा। [रा]य प्रतई कहि सुपन विचारा, पूछी सुपनपाठक अधिकारा ॥५॥ भूपति कइ फालसे] वखत तुम्हारा, प्रसवह रेस्यइ सुकलीण कुमारा । इति निसुंणी वचनामृाताधा[रा], गर्भ पोषण करइ प्रवर-प्रवर प्रकारा ।।६।।
.............छपन कुमारा, आवी अशुचि करइ परिहारा, ती(ति)णइ समइ चउसठि इंद्र परिवारा, मेराशिाखारि स्नात्र विस्तारा ।।७।। अनुक्रमि पूरण दोहद प्रचारा, चंद्रायोग नक्षत्र] शुभ तारा । श्रावण सुदि पंचमी अजूआरा, पूरे दिनि जनम्या सुखकारा ||८|| आणी श्रीजिन मुंक्या सहवारा, सोवन रजत भरइ भंडारा । मातपिता सहू सज्जनवारा, नाम ठवइ श्री नेमिकुमारा ॥९॥
बाहुबलि राणुइ ए ढाल॥ पंच धावइ प्रभु पालीया, मनोहर तनु सुकमाल रे। राजकुमरसुंरे परिवरिया, पहुता हरि आयुधशाल रे ॥१०॥ नेमिकुमर रमइ रंगसिउं, नीरागी विषय विरत्तरे। अथिर सरूप जग लेखवइ, सत्रु-मित्र समचित्त रे ॥११॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... सारिंग धनुष चढावीउं, फेरवि(वी)उं चक्र भुजदंड रे। कोडि सि(शि)ला रे, कुतिकि धरी पूरिउ संख परचंड रे ॥१२॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... सांभली हरि मनि चीतवइ, अवतरिउ अधिक कोई राय रे । बलिभद्र कह रे केसव सुणउ, शिवादेवी सुत तुम्ह भायरे ॥१३॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं... माधव मनसिउरे चमकीउ, आवीउ नेमिजी पासि रे। [बाल तणुं [पारिखं जोइवा, पुहुता दोय मल्ल आवासि रे॥१४॥
नेमिकुमर रमइ रंगसिउं...
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