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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अढार नातरानीकथा कोमलबेन कमलेशभाई शाह नातलं एटले सगपण, संबंध... सगपणना प्रकाराने वर्णवतुं आ लघु कथानक एटले अढार नातरानी कथा... कथाना माध्यमथी बोध पामी शकाय एवी संभावनाओ प्रबळ होवाथी प्रायः करीने अन्य दर्शनोनी अपेक्षाए सौथी वधु प्रचुर कथा साहित्य आपणी जैन परंपरामां प्राप्त थाय छे. आगम साहित्य पैकी एक “ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र” मां पूर्वकाळे साडा त्रण करोड कथाओ प्राप्त थती हती. प्रभव चोरना प्रतिबोधथी उंचकाती आ कथा वैराग्यना परिणाम अने कर्मसत्तानी व्यवस्थानु सचोट उदाहरण छे. अढार प्रकारे सगपणने आवरी लेती कथा खरेखर वैराग्यभावने प्रबळ करी आपे छे. जूनी गुजरातीमां लखायेली छे. एनो अर्थ पण सुगम छे. केटलीक जग्याए अर्थ मेळववो कठिन जणाय छे, पण एवा स्थानो ओछां छे. मूळ कृतिमां ह्रस्व/दीर्घना सुधारा करी लेवामां आव्या छे. ए सिवाय पाठने वधु स्पष्ट करवा ()मां अर्थसूचक अक्षरो आप्या छे. विक्रम संवत् १८७१ना प्रथम भादरवा वदि १४ना दिवसे रत्नसागर मुनिए आ प्रतनुं आलेखन कर्यु छे. स्थळ के गुरुपरंपरानो उल्लेख न होवाथी रत्नसागरजी विशे वधु माहिती आपी शकाई नथी. आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा क्रमांक नं. ३८४७५मां आ प्रत सचवायेली छे. आ प्रतमां कुल ३ पाना छे. आ प्रतनी लिपी देवनागरी छे. अने भाषा जूनी गुजराती छे. आ प्रतनी लंबाई २३ से. मी. अने पहोळाई १२ से.मी. छे. एक पेजमा १४ लाइनो छे. अने दरेक लाईनमा ३९ जेटलां अक्षरो आवेला छे. अक्षरो मोटा अने सुवाच्य, सुडोळ छे. - विशेष पाठने लाल रंगथी अंकित करेल छे. पाणीना अने दीमकना कारणे प्रतनो केटलोक भाग खराब थयो छे. खास करीने एक साईडना हांसियाना भागने विशेष नुकशान थयुं छे. आ प्रतनी विशेष विगतो कैलासश्रुतसागर ग्रंथसूचि भाग ९मां प्रकाशित छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525298
Book TitleShrutsagar 2015 03 Volume 01 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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