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श्रुतसागर
मार्च - २०१५
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चुमुख दीठ हवइ मन ठरिउ रे हां, पीतल प्रतिमा बार मेरे मनि वसिउ । भावसहित प्रभु पूजीया रे हां, मरूदेवी मात मल्हार मेरे मनि वसिउ ॥२०॥ भाव सहित करउं जात्र...
श्रीकुंथुनाथ जुहारीया रे हां, पासइ पौषधसाल मेरे मनि वसिउ । पीतल बिंब सोहामणां रे हां, वांदुं थई ऊजमाल मेरे मनि वसिउ ॥ २१ ॥
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नाहनां-मोटां जिन तणां रे हां, भुहिहरां देउल ठांम मेरे मनि वसिउ । रिषभादिक जे जिनवरू रे हां, तेहनि (ने) करुं प्रणाम मेरे मनि वसिउ ॥ २२॥ भाव सहित करउं जात्र...
यात्र करी सहू आवीउं रे हां, उच्छव रंग मनोहार मेरे मनि वसिउ । अष्ट महासिद्धि संपदा रे हां, सेवकजन जयकार मेरे मनि वसिउ ॥ २३॥
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भाव सहित करडं जात्र...
संवत सोलसत्ताणु रे हां, भेटिउ अरबुदगिरिराय मेरे मनि वसिउ । श्रीविशालसोमसूरि सानधिई रे हां, कहिइ राजरतन उवझाय मेरे मनि वसिउ ॥२४॥
भाव सहित करउं जात्र...
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॥ इति अरबुदगिरि चैत्य परिपाटी स्तवनं संपूर्ण ॥
मुनि माणिक्यरत्न लिखितं
प्रतांते प्राप्त पुष्पिका - लिखिता स्थंभतीर्थे श्री. मोहणदे पठनार्थं भद्रंभवतात् लेखक पाठकयोः
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भाव सहित करडं जात्र...