________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
38
January-February-2015
मारा त्रैमासिक पत्रना पहेला खंडना बीजा अंकमां प्रकट करेली छे. ते यादीमां लगभग साडा छसो जेटला ग्रंथोनी नोंध करेली छे. यादीना कर्तानुं नाम जड्युं
थी परंतु ते कोइ सारा विद्वान जैन साधु होइ वि. सं. १५०० नी आसपासमा थई गएला होवा जोइए. तेनी लखवानी पद्धति उपरथी जणाय छे के तेणे ते यादी पाटण, जेसलमेर, खंभात, लींबडी, भरूच इत्यादि ठेकाणेना प्रसिद्ध अने प्राचीन पुस्तक भंडारो नजरे जोइने तैयार करेली छे अने ते पण घणी ज सावधानतानी साथे.
ते यादीमां ग्रंथनुं नाम, ग्रंथकारनुं नाम, ग्रंथनुं श्लोकप्रमाण अने मळ्यो तेटलो ग्रंथनो रचनाकाल - आटली बाबतोनी नोंध लीधी छे. ज्यां जरूर जणाइ त्यां ग्रंथनी भाषा, रचना के विषयनी बाबतमां पण 'रिमार्क' करी छे. एक दाखलो आपु. शत्रुंजय माहात्म्य नामनो एक ग्रंथ जैनसंप्रदायमां सुप्रसिद्ध छे. फार्बस साहेबे पोतानी रासमालानुं पहेलुं प्रकरण ए ज ग्रंथना आधारे लख्युं छे. ए ग्रंथना कर्ता कोइ धनेश्वरसूरि नामना जैन विद्वान छे अने ग्रंथमां छेवटे तेनो रचनाकाल विक्रम संवत् ४७०लखेलो छे. परंतु ए माहात्म्यमां छेक बारमा सैकामां थइ गएला कुमारपालादिनी पण हकीकत आवेली होवाथी डॉ. ब्युल्हरे तेमांना रचनाकालने कृत्रिम गणी ते कोइ आधुनिक रीते कल्पित प्रायं, आधुनिक धनेश्वरीयम् (अर्थात् कल्पित अने आधुनिक धनेश्वरनुं बनावेलुं) आवी नोंध करी ग्रंथमां आपेली ४७०नी सालने खोटी जणावी छे.
अहिं आपवामां आवेली यादी, ते यादी करतां बहु नानी छे. पण ते यादी ज्यारे जैनसाहित्यनी दृष्टिए ज तैयार करेली छे त्यारे आ यादी सर्वसामान्य एवा प्रजाकीय साहित्यनी दृष्टिए तैयार करेली छे, ए एनी विशिष्टता छे. आमां मात्र संस्कृत-प्राकृत भाषा अने साहित्य ए बे विषयोने उपयोगी अने आवश्यक होय एवा ज ग्रंथोनी नोंध छे. तेथी धर्म, संप्रदाय के दर्शनविषयक ग्रंथोने आमां स्थान आपवामां आव्युं नथी.
संस्कृत अने प्राकृत साहित्यना साधारण अध्ययन माटे, गुजरातमां ए जूना कालमां, खास करीने कया कया ग्रंथो लोकोने प्रिय थइ पड्या हता, ए बाबत आ यादी उपरथी घणी स्पष्ट रीते जणाइ आवे छे. ग्रंथोनो विषयवार विभाग करतां आमां व्याकरण, कोष, छंद, काव्य अने अलंकार आ रीते पांच प्रकारना ग्रंथो नोंधेला मळी आवे छे.
For Private and Personal Use Only