________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सोमसुंदरसूरि बिरुदावली कुलक
मुनिश्री सुयशचंद्रविजय
मुनिश्री सुजसचंद्रविजय प्रस्तुत कृति युगप्रधान आ. श्री सोमसुंदरसूरिजीना जीवन चरित्र पर रचाएली अपभ्रंश भाषानी एक ऐतिहासिक कृति छे. मुनि प्रतिष्ठासोमना सोमसौभाग्य महाकाव्यनी पेठे जयचंद्रसूरिजीना शिष्य अज्ञात कविए सूरिजीना जीवननी घणी ऐतिहासिक विगतो अहीं रजू करी छे. तेमां आपणे सौ प्रथम कृति परिचय जोईशुं. .. कृतिना प्रथम पद्यमां कविए नमस्कार करवा रूप मंगलाचरण करी सूरिजीने विनंती करी छे. बाळक सोमिग ज्यारे धूळमां रमतो हतो त्यांथी पसार थता आ. श्री देवसुंदरसूरिजीए सोमिगने खभे हाथ मूकता बाळके आपेला प्रतिभावनी खूब ज अद्भुत नोंध काव्यना २-३ पद्यमां कवि वडे आलेखाई छे.
धूळमां रमता बाळकना खभा उपर आचार्यश्री ज्यारे हाथ राखे छे. त्यारे बाळक सोमिग आचार्यदेवने कहे छे के 'जेटलो भार मूकवो होय एटलो मूको, हुं तमारो बधो भार वहन करीश' बाळकना आवा वचनथी प्रभावित थई आचार्यदेव बाळकने चरणभार सोंपे छे. पू. सोमसुंदरसूरिजीना जीवन संदर्भनो आ उल्लेख कृतिनी विशेषता स्वरूप गणी शकाय एम छे. वर्तमानमां सूरिजी संबंधी जे कांई तथ्यो प्राप्त थाय छे एमां आ प्रकारनी घटना-प्रसंगनो उल्लेख जोवा मळतो नथी.
वि. सं. १४३०मां जन्म, १४३७मां दीक्षा, १४४७मां वाचकपद, १४५७मां दिल्ली(दिल्ली)ना नरसिंह साहे करावेला उत्सवमा आचार्य पद, तेमज १४६७मां गच्छभार संभाळ्यो (देवसुंदरसूरिजीना स्वर्गवास बाद), वि.सं. १४९९मां काळधर्मनो आ रीते सातमी-आठमी कडीओमां आचार्य भगवंतना जीवननी विशिष्ट घटनाओनो उल्लेख कर्यो छे.
धारणा बुद्धिना बले जेओ १००० नामो याद राखी शकता हता, वळी चोर्याशी हाथ लांबा पत्रनी रचना द्वारा जेमणे कविवृंदने आनंदित कर्या ता एवा आ. श्री मुनिसुंदरसूरि, भविजनोना नयनने आनंदित करनार आ. श्री. जयचंद्रसूरि, गुणरूपी मणिओना समुद्र समान आ. श्रीभुवनसुंदरसूरि, अग्यार अंगना धारक आ. श्रीजिनसुंदरसूरि तथा छत्रीश गुणोना धारक आ. श्री जिनकीर्तिसूरि एम भरतक्षेत्रना पांच मेरू रूप पांच मुनिओने आचार्यपद, पांच मुनिओने उपाध्याय पद तथा पांच साध्वीजीओने प्रवर्तिनी पद आप्यानो उल्लेख काव्यना अग्यारथी पंदर नंबरना पद्यमांथी मळे छे.
For Private and Personal Use Only