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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR DECEMBER-2014 कवि परिचय : प्रस्तुत कृतिना रचयिता अंतिम पंक्तिमा पोतानो तथा पोतानी गुरु परंपरानो उल्लेख करे छे. जिनशासन उन्यत करे मुनिवर सोभागी उत्तम लहीय नीमित्त रे गुणवंताने गुणना रागी. कविश्रीए कृतिमां पोतानो मीताक्षरी परिचय आप्यो छे. जै.गू.क.भा-६, पृ.-२ अने ३ उपर विशेष परिचय उपलब्ध छे. ___अमदावादनी शामळपोळमां रहेता वणिक परिवारमा सं.१७६० मां कविश्रीनो जन्म थयो छे. तेमना पितानुं नाम लालचंदभाई अने माता नाम माणेकबेन हतुं. कविश्री बाळपण- नाम पूजाशा हतुं. ___अढार वर्षनी वये सं.१७७८ मां खरतरगच्छना श्री देवचंद्रजी पासे धार्मिक अभ्यास कर्यो त्यारपछी श्री ज्ञानविमलसूरिनी परंपराना योगविमलगणि अने सत्यविजय पंन्यासना श्री जिनविजयगणि, अमदावादमा आगमन थतां पूजाशा नित्य जिनवाणीनुं श्रवण करवा जता हता. गुरुए पूंजाशाने धार्मिक अभ्यास करावी उपकार कर्यो. सत्संगथी वैराग्यनो रंग लाग्यो. सं. १७९६, वैशाख सुद छठूना शुभ दिवसे पूंजाशाए दीक्षा लीधी. तेमनुं नाम मुनि श्री उत्तमविजयजी पड्यु. तेमणे सुरतमा भट्टारक विजयदयासूरिनी अनुज्ञा मेळवी पादरामां भगवतीसूत्रनी वांचना करी. गुरुएशिष्यने नंदीसूत्र शीखव्यु.सं.१७९९ मां तेमना गुरु श्रीजिनविजयजी काळधर्म पाम्या. त्यार पछी विहार करी भावनगर पहोंच्या. त्यां तेमणे पूर्वना धर्मबोधक श्री देवचंद्रने बोलावी तेमनी पासे श्री भगवतीसूत्र, श्री अनुयोगद्वारसूत्र, श्री पन्नवणासूत्र' वगेरेनो अभ्यास कर्यो. सं. १८०८ मां कचरा कीका नामना श्रावक द्वारा सिद्धाचल यात्रानो संघ नीकळ्यो. तेमां कविश्री जोडाईने तेमनी साथे पालीताणा गया. तेमणे गुजरात अने सौराष्ट्रनी भोमका पर विविध प्रांतोमां पादविहार करी जैनधर्मनी अद्भुत प्रभावना करी. घणां स्थळोए जिनबिंबोनी प्रतिष्ठा पण करावी. For Private and Personal Use Only
SR No.525296
Book TitleShrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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