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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 13 श्रुतसागर दिसम्बर-२०१४ सुरतमा पोताना गुरुभाई पंन्यास श्री खुशालविजयजी साथे चातुर्मास रह्या. ते समये असह्य नेत्र पीडा थतां राजनगर आव्या. सं.१८२७, महा सुद आठमना दिवसे सडसठ वर्षनी वये स्वर्गारोहण थया. तेमनो हरिपुरामां स्थूभ छे. कविश्रीनुं साहित्य सर्जन : (जै.गू.क.भा-६, पृ.२-६) * संयम श्रेणी गर्भित महावीर स्तव स्वोपज्ञ टबा सहित (सं.१७९९, ढा-४) जेमा पोतानी अथथी इति सुधीनी गुरुपरंपरा विस्तारपूर्वक आपी छे. श्री वीरप्रभुना पांचमा गणधर सुधर्मा स्वामीथी शरू थयेली पाट परंपरा, चंद्रगच्छ, वडगच्छ अने तपागच्छनो उद्भव वगेरेनो रसप्रद इतिहास आ कृतिमां छे. * जिन विजय निर्वाण रास (सं. १७९९, ढा-१६) पोताना गुरुनी स्मृति अने भक्तिरूपे आ रास रचायो छे. * अष्टप्रकारी पूजा (सं. १८१३/१८१९) * जिन स्तवन चोवीसी आ प्रत लींबडीना भंडारमा उपलब्ध छे. जेनो डा.क्र.२२७८२ छे. आ कृति जै.गू.साहित्य रत्नो, भा.-२ मा प्रकाशित छे, जेमां पांच स्तवनो छे. ईत्यादि अनेक साहित्य सर्जन कविश्रीनी प्रखर प्रतिभाथी संपन्न थया छे. सत्यावीस साधुगुण गर्भित जंबूस्वामी गुरुगहुंली षट व्रत सुधा पालतां मुनिवर सोभागी, षट्काय रक्षण सार रे गुणवंताने गुणना रागी। पंचं()द्रीय दमे विषयथी मुनिवर सोभागी लोभना जीतनहार रे गुणवंताने गुणना रागी॥१॥ क्रोध तजी समता भजें मुनिवर सोभागी, निर्मल चित्त सदाय रे गुणवंताने गुणना रागी। विधिपूर्वक प्रतिलेखना मुनिवर सोभागी, करता मुनि सुखदायरे गुणवंताने गुणना रागी ॥२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525296
Book TitleShrutsagar 2014 12 Volume 01 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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