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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक समीक्षा डॉ. हेमन्तकुमार * पुस्तक नाम : जैन शिल्प विधान * संकलन-संपादन : मुनि श्री सौम्यरत्नविजयजी म. सा. भाग - १ शिल्पशास्त्र प्रवेशिका एवं भाग - २ शिल्पशास्त्र सचित्र विभाग प्रकाशक : जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुंबई * प्रकाशन वर्ष : ईस्वी सन् २०१३ * मूल्य : ३००/* भाषा . : गुजराती मुनिश्री सौम्यरत्नविजयजी म. सा. द्वारा संकलित एवं संपादित “जैन शिल्प विधान” मंदिर निर्माण हेतु एक मार्गदर्शक ग्रन्थ है. पूज्यश्री ने शिल्प संबंधी अनेक शास्त्रों का तलस्पर्शी अध्ययन व आलोडन किया है. साथ ही प्रस्तुत ग्रंथ को बहुपयोगी बनाने हेतु आपने १०वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी के मध्य निर्मित अनेकानेक मंदिरों का प्रत्यक्ष अभ्यास किया है, शिल्पविद्याशाखा के प्रतिष्ठित विद्वानों, विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों, संशोधकों, भूस्तरशास्त्र के विशेषज्ञों, वास्तु-उर्जा के वैज्ञानिकों एवं मंदिर निर्माण की परम्परा से जुड़े अनुभवी विद्वानों के साथ विचार-विमर्श कर मंदिर निर्माण के तत्त्वों को प्रस्तुत किया है. मुनिश्री ने प्रस्तुत ग्रंथ में अध्याय की जगह अपने प्रगुरु आचार्य श्री हेमचंद्रसागरसूरिजी म. सा. के नाम से हेमशिल्प का प्रयोग किया है. ९ हेमशिल्पों में विभक्त इस.ग्रन्थ में मुनिश्री ने शिल्प सर्जन के क्षेत्र में आने वाली शंकाओं एवं दुविधाओं को शास्त्रविधि एवं परम्परा के अनुसार दूर करने का महत्तम प्रयास किया प्रस्तुत ग्रंथ के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि इसमें एकमात्र जैन मंदिर से संबंधित विषयों का ही प्रतिपादन हुआ हो ऐसा नहीं है, इसमें श्रमणसंस्कृति और For Private and Personal Use Only
SR No.525294
Book TitleShrutsagar 2014 10 Volume 01 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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