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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 68 SHRUTSAGAR JULY - 2014 अंगोपंग हलाया हुवै। इत्यादिकें करी अप्पकायरी विराधना कीधी हुवै इणभव परभव जातां (जाणतां अजाणतां) ते मिच्छामि दुक्कडं |२|| वली सचित्त अग्निकाय आभडतै विहस्यो हुवै| अंगीठी कीधी हुवै। कोउ ताप्या हुवै। दीवा कीधा हुवै। आग उलंगी हुवै। दावानल लगाया हुवै। चकमकसुं अथवा आक अरणीसुं अग्नि पाडी हुवै। वीजली दीवा प्रमुखनी उजेही लगाई हुवै। इत्यादिक प्रकारे करी अग्निकाय जीवरी विराधना कीधी हुवै इणभव परभव जातां (जाणतां अजाणतां) ते मिच्छामि दुक्कडं ||३|| वली वायुकाय विराध्या हुवै। ते किम? वीजणासुं छेहडासुं वायरो घाल्यो हवै। फूंक मारी हुवै। उघाडै मुंहडै बोल्या हुवै। वस्त्रादिक झटकाया हुवै। इत्यादिक वायुकाय जीवरी विराधना कीधी हुवै इणभव परभव जाता (जाणतां अजाणतां) ते मिच्छामि दुक्कडं ।।४।। वली प्रत्येक वनस्पति साधारण वनस्पति स्वादै खाधी हुवै। फल, फूल, पान हरी त्रोड्या हुदै । नील, फूलण, सेवाल विराध्या हुवै। जडीबुटी त्रोडी काढी हुवै। आक भांजी आकदूध लीधो हुवै। धातुर्वाद पारो कमावत उषधीयारा रसरी पुट दीधी हुवै। इत्यादिक प्रकार करी वनस्पति जीवांरी विराधना कीधी हुवै इणभव परभव जातां (जाणतां अजाणतां) ले मिच्छामि दुक्कर ।।५।। हिवै बेंद्री विराध्या हुवै। ते किम? । अणगल्यौ पाणी वावर्यो हुवै। जुलाव लेइ क्रमगिंडोला पाड्या हुवै। अंगउपंगै जोकदराई (जडो देवरावी) हुवै। पग हेठ अलसीया, चूडेलि गाडर, प्रमुख पीडाणा होवै (हुवै)। पग हेट आया हुवै। पाला टंकाया हुवै। इत्यादिकें करी बेंद्री जीवनी विराधना कीधी हुवै इणभव परभव जाला (जाणतां अजाणतां। ते मिच्छामि दुक्कडं ||६|| हिवै तेंद्री जीवना भेद कहै छ। ते किम? मांकण पाटमाहेथी काढ्या हुवै। दूहाणा हुवै। जूं लीख काढी हुवै। धूपदराणी हुवै। छपीलो (?) गमाङयो हुवै। कीडी, मकोडा, उदेही, घोवेलि, ईली, गदहीया, कुंथुवा, जउआ. पग हेठ आया हुवै। इत्यादि प्रकारे करी तेंद्री जीव विराध्या हुवै इणभव पर भव जाता(जाणतां अजाणतां) ते मिच्छामि दुक्कडं |७|| हिवै चौरिंद्री जीव विराध्या हुवै। ते किम? | माखी, डांस माछर डील लागा उडाया हुवै। हरताल वाटतां माखी मूइ हुवै। ठाम रंगतां रेगन, अलसी, तैल उपर माखी, कूत, माछर, पतंगीया प्रमुख जीव मूआ हुवै । कंसारी, भमरा, तीड. For Private and Personal Use Only
SR No.525291
Book TitleShrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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