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SHRUTSAGAR
JULY - 2014 आ स्तवनमां फारसी आरबी ने देशी-अपभ्रंश ए त्रण भाषाना शब्दोनो प्रयोग थएला छे. एम ए स्तवननी संस्कृत टिप्पणी लखनारनुं कथन छे अने ते बराबर छे. काम (कडी ३जी), छोडिय (कडी ६), जिम (कडी १०), वगैरे शब्दो अपभ्रंशगुजराती छे अने बीजा फारसी-आरबी छे.
ए फारसी-आरबी शब्दोने पण स्वभाषाना प्रत्ययो लगाडी अर्ध देशी जेवा बनावी लेवामां आव्या छे, दाखला तरीके खिदमत, रहमान, रालाग, हराम, जानवर वगेरे शब्दोने बदले खतमथु (कडी ३), रहमाणु (कडी ५), सलामु, हरामु (कडी ७), जानूउरु (कसी ८) इत्यादिरूपमा लखेला शब्दो लइ शकाय. वळी केटलाक शब्दो तो एवा पण छे के जे आजे गुजराती भाषामां खूब प्रचार पामेला होइ जाणे गुजरातीना ज रूढ शब्दो न होय सेवा लागे छे. उदाहरण तरीके, हकीकत, दोस्ती (कडी २१. खुदा (कडी ३). फरमान (कडी ५), जंग (कड़ी ६), अगर (कडी ७), वगेरे शब्दो आपणने तो अतिपरिचित होइ ते विदेशी छे एम भास पण थवो कठिण छे.
जिनप्रभसूरिना जमानामां-आजथी ६०० वर्ष पहेलाना वखतमां-तो आपणा लोकोने आ शब्दोनो नवो ज परिचय थयो हतो तेथी ते वखते तो आ शब्दो शुद्ध फारसी आरची भाषाना ज शब्दो तरीके स्पष्टपणे ओळखाय अने गणाय ए सगजाय ते छे.
जिनप्रभसूरिनी आ कृतिने फारसी भाषानी कोइ शुद्ध कृति तरीके तो आपणे न ज गणी शकीए. कारण के एमां कांइ ए भाषा विषयक पांडित्यनुं सूचन तो जराए ज नहि. पण कुतुहलोत्पादक कृति तरीके, एनुं स्थान आपणा स्तवनादि संग्रहमा अवश्य राखवा लायक छे.
___ फारसी-आरबी-गुजराती भाषानी काची खीचडी जेवी आ एक वस्तु छे. एवी उपमा आपीए तो ते बरावर बंध वेसती जणाशे. अगर, देशी छंदो रूप सूतरना दोरामां शीखाउ माळीए जेमतेम गुंथेली फारसी-आरची-अपभ्रंश शब्दरूप गुलाब गोगरा अने चंपाना फूलोको आ एक माळा छ, एम पण आ रतुतिने कहीं शकीए तो ते पण योग्य लेखाशे.
आ स्तुतिनी कुल १ कडीओ छ, जेमा पहेली वे कडीओ गाथा छंदमा बनावेली छे. पछीनी ६ कडीओ दुहा छंदमां, अने ते पछीनी एक कडी चतुष्पदी एटले चउपाइ छंदमां बनावेली छे. १०मी कडी, छंद घराबर ओळखातुं नथी. छेल्ली कडी इंद्रवज्रा छंदनी छे,
वांचकोना ज्ञाननी खातर आ स्तवनो सरल गुजराती रार अहिं आपी देवा ठीक थइ पडशे.
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