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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 28 SHRUTSAGAR JULY-2014 पाम्यु केवल उजलं मनमोहन, दीठा चउदई राज लाल मनमोहन । साथिं शिवपुरि पोहबस्युं मनमोहन, सारी निज निज काज लाल मनमोहन । ६२ ।। ए वृत्तांत सुणी तिहां मनमोहन, बहुजण चारित्र लीध लाल मनमोहन। सारथपति श्रावक थयो मनमोहन, एह प्रश्न जेणई कीध लाल मनमोहन ||६३ ।। जिम उदयाचलि उनीओ मनमोहन, तिमिर निवारइं भाग लाल मतमोहन। तिम पृथिवीचंद्र केटली मनमोहन, टालई संदेह जाण लाल मनमोहन ।।६४ ।। विहार करइं भूमंडलिं मनमोहन, बुमवई जाण अजाण लाल मनमोहन। दया मूल जिनधर्मर्नु मनमोहन, नित नित करई वखाण लाल मनमोहन ।।६५।। चोपाई।। इम ते पृथिवीचंद्रकुमार, गुणसागर बेहु करई विहार। प्रतिबोधी नरनारी कोडी, मुगतिं पोहता पाप विछोडि ||६६ । । ते चोपन जण केवत लही, साधिउ शिवपुर संयम ग्रही। सीलिंइ नित-नवला शिणगार, सीलिंइ राज रमणिभंडार ।।६७ || सील वडु दीराइ संसारि, पालो सील राहू नरनारि। सीलवंतनइ धइं सह मान, सीलवंत घरि नवइ निधान ।।६८ ।। सीलवंतमांहि जस लीह, सील पालवा हया सीह । ते तो पृथवीचंद्रकुमार, गुणसागर पणि बीजो सार !।६९।। सावलीनगर रही चौमासि, संवत सोलछन्नइ उल्लासि । फागुण सुद एकादशि धारि, वार कहु ते हवई विचारि |७० ।। For Private and Personal Use Only
SR No.525291
Book TitleShrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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