________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
पृथ्वीचंद्र गुणसागर रास
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संपा. जागृतिबेन डी. वोरा हिरेन के. दोशी
जैनदर्शनमां बतावेला चार अनुयोग पैकीनो एक अनुयोग एटले कथानुयोग,
चार प्रकारना अनुयोग आपणी परंपरामां मळे छे.
१. द्रव्यानुयोग.
३. गणितानु
२. चरणकरणानुयोग ४. धर्मकथानुयोग.
चारेय अनुयोगमां प्रधानपणे द्रव्यानुयोग छे. पण द्रव्यानुयोग समजवागां थोडो कठीन होई व्यक्तिनी योग्यता अने क्षमताओनी अपेक्षा राखे छे. ज्यारे धर्मकथानुयोग सरळ होई व्यक्ति पोताना उपादानने वधु ने वधु विशुद्ध बनावी शके छे.
धर्मकथानुयोग पौदगलिक सुखमा रहेला जीवोने कथा अने दृष्टांतना माध्यमे आत्माना स्वरूपनुं भान करावी एनामा रहेली अनंत शक्तिओ अने सुषुप्त ऊर्जानुं प्रागट्य करी जीवनने सार्थकता बक्षे छे जीवनमां सर्जाता उत्थान अने पतन माटे मनुष्य पोते अने पोताना विचारो ज कारणभूत होय छे. जेवा विचारोनी सेवना बालु होय, भविष्यनुं निर्माण पण एवं ज थया करे छे विचारो सारा तो भविष्य सुंदर, विचारो खराव तो भविष्य अंधारमय ... सद्विचारोनी ताकातथी गमे तेवी वगडेली स्थिती पण सुधारी शकाय छे.
कथानुयोग मानव जीवाने सद्विचार अने दृढ संकल्प द्वारा उत्तमता अर्पे छे. कथानुयोग अशुभमांथी शुभमां अने शुभमांथी शुद्धमा लई जाय छे। अने एटले ज पूर्वाचार्यो कथानुयोगना आगमो अने ग्रंथो आपीने समग्र जीवराशि उपर महान उपकार कर्यो छे.
For Private and Personal Use Only
आधी ज एक कथा रास स्वरूपे अत्रे प्रकाशित करी छे. आम तो आ रचना विक्रमनी सत्तरमी स्दीमां थई छे. पण आ कथानी घटना थयाने घणो काळ व्यतीत थई गयो छे. चार प्रकारना धर्म परमात्माए दर्शाव्या छे. एमां सौथी पहेलुं दान, बीजुं शील, त्रीजुं तप, अने चोथुं भाव. आम चार प्रकारमाथी बीजा शीलधर्मनुं महत्त्व अने एनुं गुणगान आ कथामां सर्वत्र छवायेलुं जोवा मळे छे. शीलधर्मना पालनथी थनारो लाभ अने एनुं पालन न करवाथी थनारा नुक्शानने कविए आ चरित्रना माध्यमथी दर्शाव्युं छे. राराना घाट उपरथी कर्ताए परंपरागत आ ज चरित्रनायकनुं कोई संस्कृत के प्राकृत चरित्र आँख सामे राख्युं होय एवं जणाय