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SHRUTSAGAR
JUNE - 2014 तीर्थपरिचयनी कोलम हेठळ आ वखते श्री कनुभाई शाह तरफथी लखायेल 'दर्भावती तीर्थ एक परिचय' लेख आ अंकमां प्रकाशित कर्यो छे. दर्भावती जेवा केटलांय प्राचीन तीर्थो प्रत्ये आपणी उदासीनता आ प्रकारना लेखोथी दूर थई शके छे. तीर्थ यात्रा- महात्म्य अने एनी विशेषताओ संक्षिप्त भावे आ प्रकारना लेखोथी जाणी शकाय छे.
सम्राट संप्रति संग्रहालयना नूतन भवननी खननविधि प्रसंगे पद्मश्री कुमारपाळभाई द्वारा अपायेल भावपूर्ण शब्दोने अत्रे प्रकाशित कर्या छे. संग्रहालयना नूतन भवननी खननविधिना अहेवालने समाचार सार द्वारा सहु गुरुभक्तोना वाचनार्थे प्रकाशित कर्या छे. श्रुतसागर अं. नं. ३८-३९मां प्रकाशित ब्राह्मी लिपि एक अध्ययन विशे घणा वाचकोना सुंदर प्रतिभावो अमने प्राप्त थया अने ए प्रतिभावोना आधारे दर त्रीजा अंके एक लिपिनो विशिष्ट परिचय प्रकाशित करवानी धारणा राखी छे. सुंदर प्रतिभावो आपवा बदल ज्ञानमंदिर परिवार तरफथी वाचकोनो खूब खूब आभार....
ब्राह्मी लिपि एक अध्ययन विशेनो एक अभिप्राय
श्रुतसागरपत्रिकायां ब्राह्मीलिपिविषयक: लेखः पठितः। स च लेखः लिपिजिज्ञासनां कृते मूलग्रन्थ इव राराजते, तत्र परिचयः, वर्णज्ञानं, मूलाक्षरज्ञानमित्येतत्सर्वं सर्वजनसुलभं, सुबोधञ्च वर्तत इति मे मतिः।
(डॉ. सुरेशकुमार टी. व्यास)
(गांधीनगर - गुजरात)
सुविचार * मोटा माणसना अभिमान करतां नाना माणसनी श्रद्धा घणीवार धार्यु
काम करी जाय छे. * जे दस्तावेज पर सही करवानी होय ते ध्यानथी यांचवो. मोटा अक्षरे
लखेला लाभो नाना अक्षरो छीनवी लेता होय छे. * संबंधो जोवा माटे अजवाळु जोईए नहितर अंधकारमा जे वस्तु
खावोई जाय छे तेमांथी एक संबंध होय छे.
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