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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ४० धर्म करी शके ते महान. वैभवी जीवन सारं नहि परंतु विरती प्राप्त करवी ते सारं जीवन छे. ज्ञानीओनी दृष्टि क्षुल्लक पदार्थों पर नहि परंतु शाश्वत पदार्थो पर छे. देवो सुखने पराधीन छ माटे ते धर्म करी शके नहि तमने इच्छा थाय तो तमे नवकारशी करी शको, सामयिक करी शको, अरे तमने भाव जागे तो दीक्षाय लई शको, देवो आ बधुं करी शके? देवो सुखने पराधीन छे, नारकीयो दुःखने पराधीन छे, तिर्यंचो परिस्थितिने पराधीन छ ज्यारे मानव सर्व रीते स्वाधीन छे. माटे मानव जे धर्म करी शके एवो धर्म करवानी ताकात कोइनामांय नथी. तेथी ज श्री सिद्धर्षिगणिए उपमिति भव प्रपंचा कथामा मानवभवनी दश दृष्टांते दुर्लभता दर्शावी छे. आवो मानवभव आशा-इच्छा-तृष्णाना चकरावामां वेडफी देवाय? 'आ जगतमां सुखो सारा नहि, पण आत्माना गुणो सारा छे. सुखना साधनो सारा नहि, पण गुणना कारणो सारां छे. सुख आपे ते सारा नहि, गुण आपे ते सारा छे. आटली वात जडबेसलाक मनमा ठसावी देवानी जरूर छे. भौतिक पदार्थो उपरथी उंचकाईने दृष्टि ज्यां सुधी आत्माना गुणो उपर स्थापित नहि कराय त्यां सुधी प्रशंसवा जेवू शुं छे? के शुं नथी?' संदर्भ साहित्य १. आ. विजय नयवर्धनसूरि, प्रवचनकार उपमितिनो रसास्वाद-१, भारतवर्षीय जिनशासन सेवा समिति, वि. सं. २०६० २. लादीवाला, जमनादास के. (अनु.) इच्छापूर्ति (मंत्र अने तंत्र), लोनावाला, माइन्ड रीसर्च सोसायटी, सने १९६४ अन्तरराष्ट्रीय म्यूजियम दिवस के अवसर पर समारोह का आयोजन धर्म श्रुतज्ञान एवं कला का त्रिवेणी संगमरूप श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा द्वारा संचालित सम्राट संप्रति संग्रहालय के तत्त्वावधान में अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (International Museum Day) के अवसर पर दिनांक १८ मई, २०१४ रविवार को एक परिसंवाद का आयोजन किया गया है. परिसंवाद का विषय है '२१वीं सदी में म्युजीयम की आवश्यकता एवं उसकी विशेषताएँ . परम पूज्य राष्ट्रसन्त श्रुत-तीर्थोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से आयोजित इस परिसंवाद में कला एवं स्थापत्य के मर्मज्ञ डॉ. श्रीधर अंधारेजी एवं श्री नंदन शास्त्रीजी ने मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित होने की स्वीकृति प्रदान की है. गुजरात के विभिन्न भागों से कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में कार्यरत लगभग ३० से ४० प्रतिभागी इस परिसंवाद में उपस्थित होकर अपने अपने विचार प्रस्तुत करेंगे. For Private and Personal Use Only
SR No.525289
Book TitleShrutsagar Ank 040
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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