SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार्च-अप्रैल - २०१४ दिया, ऑफ कर दिया लाईट चली जाएगी। अन्धकार मिलेगा। परन्तु जैसे ही स्विच आपने ऑन कर दिया, स्विच को नमा दिया तो उस नमस्कार का चमत्कार देखा - तुरन्त लाइट आ जाती है। नमस्कार मन का बटन है, मन का स्विच है। मन को विपरीत करिये तो क्या बनता है - नम। मन का स्विच यदि आपने ऑन कर दिया, औंधा कर दिया तो नमस्कार डिवाइन लाइट बनेगा। अन्धकार में ज्ञान का प्रकाश होगा। यह रहस्य है। मन के स्विच को ऑन करके रखिये। नमस्कार पूर्वक हरेक क्रिया करिये। नमस्कार की भावना से प्राप्त करने की उत्कण्ठा रखिये। सारी समस्या दूर हो जाएगी। मन का तनाव दूर हो जाएगा। मन को हल्का बना देगा। नमस्कार की क्रिया में यही रहस्य है। बड़ी प्रसन्नता होगी। अनेक व्यक्तियों की जब सद्भावना मिल जाएगी तो प्रसन्नता तो स्वयं आ जाएगी। यहाँ भी उस परमात्मा को सर्वप्रथम भावपूर्वक नमस्कार किया गया कि भगवन् तुझे नमस्कार करके मैं इस कार्य के अन्दर प्रवेश कर रहा हूँ। इस लेखन कार्य के अन्दर, जो मुझे जगत् को देना है और जो कुछ जगत् को दिया जाय, वह विशुद्ध हो, अमृत तुल्य हो। उसमें मनोविकार रूपी विष का प्रवेश न हो जाए | अहं की दुर्गन्ध इन शब्दों में न आ जाए। इसीलिए प्रथमः नमस्कार की मंगल क्रिया सम्पादित की गयी, ताकि जगत् का मार्गदर्शन करने की प्रक्रिया में कहीं मनोविकृति न हो। विशुद्ध अमृत तत्व इसके अन्दर दिया जाये जिसका पान करनेवाला आनन्द का अनुभव कर सके। बहुत सारे ऐसे विकृत लेख आपको मिलेंगे। बहुत गलत मार्गदर्शन मिल जाएंगे। पश्चिमी सभ्यता की आँधी इतनी खतरनाक है कि वह साइक्लोन सारी दुनिया के अन्दर वायरस फैलाने वाला है। उनका एक ही दर्शन है, उनकी एक ही मान्यता है - 'खाओ, पीओ, ऐश करो - कल तो तुम मर जाओगे।' जहाँ परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं है । स्वयं की आत्मा में आत्मविश्वास नहीं, जहाँ किसी प्रकार का जीवन में अनुशासन नहीं, जहाँ भोग का अतिरेक हो, वहाँ यही दशा होगी। मरना तो सबको है। ज्ञानियों ने कहा - मरना भी एक अपूर्व कला है। जिसका सारा ही जीवन धर्ममय होगा । विनम्रता पूर्वक जहाँ जीने की सुन्दर कला होगी। जहाँ विचारों का अपूर्व सौन्दर्य होगा, वहाँ उस आत्मा की मृत्यु भी जगत को प्रेरणा देने वाली बनेगी। उसका सारा ही जीवन परोपकारमय होगा। For Private and Personal Use Only
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy