SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५७ श्रुतसागर - ३८-३९ 'रसरुधिर मांस मेदोस्थिमज्जा शुक्राण्यनेन तप्यन्ते । कर्माणि चाशुभानीत्यस्तपो नाम नैरुक्तम् ।।" एटले के 'जे क्रियावडे शरीरना रस, रुधिर, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा अने शुक्र सात धातुओ अथवा अशुभ कर्मनो समूह ताप पामे - शोषण पामे तेने तप कहेवाय. आ तपश्चर्या करवामां शरीरनी शक्तिनो पण ख्याल अनिवार्यपणे राखवो जोईए - एवी तपश्चर्या न थवी जोइए के जे आर्तध्यानादिनु कारण बने. जैन शास्त्रोमां तपना बे प्रकार कह्या छे : (१) बाह्यतप (२) अभ्यंतर तप. बाह्यतप : बाह्यतप छ प्रकारनो छे. (१) अनशन (२) ऊनोदरिका (३) वृत्तिसंक्षेप (४) रसत्याग (५) कायक्लेश (६) संलीनता. अभ्यंतर तप : अभ्यंतर तप पण छ प्रकारनो छे. (१) प्रायश्चित (२) विनय (३) वैयावृत्य (४) स्वाध्याय (५) ध्यान अने (६) कायोत्सर्ग. उपरोक्त जणावेलां बाह्य अने अभ्यंतर तपने विशे विस्तारथी न जोतां फक्त अभ्यंतर तपमां चोथा प्रकारना स्वाध्याय तप विशे जोईए. स्व एटले पोतानो आत्मा. तेना उद्धार अर्थे कल्याणकारी शास्त्रोनुं अध्ययन करघु तेने स्वाध्याय कहेवाय छे. स्वाध्यायमां रत रहेनार अनेक प्रकारनी अप्रशस्त प्रवृत्तिओने रोकी पोताना आत्माने शुभ अध्यवसायवाळो करी शके छे, तेथी तेनो समावेश अभ्यंतर तपमां करेलो छे. शास्त्रकारो रवाध्यायना पांच प्रकार आपे छे. वाचना : शास्त्रनो मूल पाठ तथा अर्थो ग्रहण करवा ते. पृच्छना : जे भण्यु होय तेमां शंका पडतां सूत्र अर्थ संबंधी पृच्छा करवी ते. परावर्तना : ग्रहण करेला पाठ तथा अर्थोनुं पुनरावर्तन करवू ते. अनुप्रेक्षा : भणेला श्रुतर्नु मनमां चिंतन करवू. धर्मकथा : परस्परनी उपकार बुद्धिथी करातो वचनयोगनो व्यापार. आ पांच प्रकारना स्वाध्यायथी आत्मानुं ध्यान थाय छे माटे ए पांचने स्वाध्याय कहेवामां आवे छे. साधके दररोज स्वाध्याय करवो जोइए. श्रेष्ठ पुस्तकोना वाचनमनन परिशीलननी जीवन पर ऊंडी असर पडे छे. अंतरशुद्धि इच्छनार मनुष्योए हमेशा अमुक समय सुधी उत्तम पुस्तकोनुं वाचन-मनन तथा परिशीलन करीने १. तप अने तपस्वी : पृ. ५ For Private and Personal Use Only
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy