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मार्च-अप्रैल - २०१४
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संयुक्ताक्षर लेखन प्रक्रिया ब्राह्मी लिपिबद्ध लेखों में 'क्ष, त्र, ज्ञ' आदि संयुक्ताक्षरों तथा 'अ' वर्ण का प्रयोग भी देखने को नहीं मिलता है। लेकिन जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि ब्राह्मी लिपि में संयुक्ताक्षर लिखने हेतु ऊपर से नीचे की ओर लिखा जाता था। अर्थात जिस अक्षर को आधा लिखना हो उसे ऊपर लिखकर दूसरे अक्षर को उसके नीचे लिख दिया जाता था । अतः इस प्रक्रिया के तहत इन संयुक्त वर्णों को निम्नवत लिखा जा सकता है
__ क् + ए = क्ष । त् + र् = त्र ज् + ञ् = ज्ञ ++L- + १ = RE+hE
मात्रा लेखन प्रक्रिया ब्राह्मी लिपि में मात्रा लेखन हेतु विशेषतः (-), (D) इन दो चिह्नों का प्रयोग हुआ है। ये चिह्न अक्षर के ऊपरी अथवा निचले हिस्से में दायें या बायें लगाये जाते थे, जो अलग-अलग मात्राओं का बोध कराते हैं। यथा
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क | का | कि । की । कु
कू
के । कै । को
को | कं । कः ।
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