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फरवरी - २०१४
मानवी मुक्त थवा घणां तरफडियां मारे छे पण तेमांथी मुक्त थवातुं नथी, ऊलटो वधारे बंधनथी मजबूत थाय छे..
* मनुष्यनी अंदर केटलाय तोफानो, भयंकर विचारो चालता होय छे, जो ए बहार आवे तो कोडीनां थई जाय छे.
• श्रेष्ठमां श्रेष्ठ तीर्थस्थाने मानवीनुं मन पवित्र जोईए तमे ज्यारे पण तीर्थयात्राए जाओ त्यारे मन पवित्र करीने जजो जेथी तमारा मनमां भगवाननी छाया प्रतिबिंब झीलाई शके मन मेलुं हशे तो प्रतिबिंब नहीं पडे.
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* महान पुरुष शक्ति प्राप्त करे छे तेनी साधना द्वारा मननी पवित्रतामां चमत्कार छे, कोई मंत्र सिद्ध नथी. मननी पवित्रताथी एमना शब्द मंत्र बने छे.
मननी वासनाओ खूब ज भयंकर छे. सारी व्यक्तिओने पण ते नचावे छे. मन उपर विजय प्राप्त करवानो छे. सर्व पापोनुं मूळ तृष्णा छे. सर्व पापो करनार मन छे. जे मनने साधे ते सर्वने साधे.
ज्यां सुधी मन तृप्त नहीं थाय त्यां सुधी ते स्थिर थशे नहीं. तमे मनने जेम जेम दबावशो तेम तेम ते उपद्रव करशे अने वधु अस्थिर बनशे तेना करतां तेने समजावीने धीमे धीमे परमात्माना चिंतनमां जोडवं. आम करवाथी मन शांत थई जशे .
मन ज्यारे शुद्ध छे, पवित्र छे, पापना बोजथी मुक्त छे, त्यारे बहानां ग तेटला दुःखो आवी पडे तो पण आत्मामा - अंतरमां तो आनंद ज होय छे. पण जो मन मेलुं, अशुद्ध होय तो बहार घणां सुखो होवा छतां अंतर दुःखनी पीडाथी पीडातुं रहे छे.
घणा लोको धर्म पर भाषणो करी शके छे, सुंदर लखी शके छे, लोकोने समजावी शके छे पण आचरण करी शकतां नथी. तेओ बुद्धिवादी छे. बुद्धिनो व्यय करवानुं जाणे छे, पण हृदयने पवित्र करवानुं जाणता नथी.
बीमार माणसने उठवानी पण इच्छा थती नथी. अने ऊभा थवानी तेनी शक्ति खतम ई जाय छे, तेवी रीते मनमां मिथ्याभाव आवे छे त्यारे जीवने पाप करवानी इच्छा थती नथी, पाप करवानी वृत्ति ज खतम थई जाय छे. ज्यारे आवी स्थिति आवे छे त्यारे ते प्रामाणिकता अने योग्यता प्राप्त करे छे.
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• घडियाळने चावी आपवामां न आवे तो ते बंध पडी जाय छे. ते रीते मनने पण जो सद्विचाररूपी चावी आपवामां न आवे तो ते बंध पडी जाय छे.