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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्यश्री पद्मसागरसूरिजी पाप * पाप आवीने लात के धोको गारतुं नथी पण गाणसनी बुद्धिने फेरवे छे, जेथी माणस अवळे रस्ते जइने दुःख पामे छे, पाप सारा मार्गे जनारने कंटकवाळा मार्गे दोरी जाय छे. प्राण हरावे तेवी जीभने धिक्कार छे. जे हिंसक काम करावे तेवी बुद्धिने धिक्कार छे, जे पाप करावे छे एवा शरीरने तेवी बुद्धिने धिक्कार छे, जे पाप करावे छे एवा शरीरने धिक्कार छे, जेने पाप जेवुं खोटुं जोवुं गमे एवी आंखने धिक्कार छे ! * पापने आपणे दूर करी शकता नथी. पाप दूर करवानी शक्ति आपणामां नथी. पाप दूर करवा माटे परमात्मा ज शक्तिमान छे. तेमणे कह्युं छे एम करीए तो, तेमना चरणोमां पडवाथी, समर्पणथी ज पापो दूर थाय छे. हजु सुधी एवं बन्युं नथी के कोई पाप ढांक्युं ढंकायुं होय. घणुं पाप ज्यारे भेगुं थाय छे त्यारे ते आपोआप प्रगट थाय छे. पाप करतां विचार करवो के जेथी पाछळथी पस्तावुं न पडे. जीवनमां चार प्रकारना दोषो पाप छे. तेमां त्रण प्रकारना एवा छे के जे भगवानना नामस्मरणथी, पश्चात्तापथी, ज्ञान-ध्यानथी धोवाई जाय छे, नाश थई जाय छे पण वोभुं पाप जरूर भोगवयुं पडे छे. * संसारमां बे प्रकारनी मनोवृत्ति होय छे - श्वानवृत्ति अने सिंहवृत्ति, कूतराने कोई लाकडी मारे तो ते लाकडीने करडे छे. पण लाकडी मारनारने करडतुं नथी. परंतु सिंह तो तेने मारनारने ज खतम करी नाखे छे. ते गुनेगारने मारी नाखे छे. एवी ज रीते ज्ञानीओ क्रोध करनार उपर, दुःख देनार उपर गुस्सा करता नथी पण क्षमता, दया अने प्रेमथी व्यक्तिमा रहेला क्रोधनो ज अथवा दुर्गुणोनो ज नाश करी नाखे छे ज्यारे श्वानवृत्तिवाळा पापने नहीं पण व्यक्तिने मारी नाखे छे. संसारनुं हार्द मन छे. दीवामां तेल होय तो ज ते प्रकाश आपे छे. माणसनो बहारनो संसार नहीं परंतु अंदरनो संसार तेनुं जीवन बगाडे छे. * पारकी आशाए जीवन जीववुं तेमां पराधीनता छे आशाना बंधनमां बंधायेल For Private and Personal Use Only
SR No.525287
Book TitleShrutsagar Ank 2014 03 037
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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