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श्रुतसागर - ३५ दान आप, ए वधु महत्त्व धरावे छे.
[७] दानविषयक साहित्य - 'दान' साहित्यने अनुलक्षीने अनेक कर्ताओ द्वारा घणुं साहित्य रचायुं छे. आपणे आगळना अंकमां जोइशुं.
[८] सुपात्रदान कथाओ -
जैन कथा साहित्यमा 'सुपात्रदान' विषयनी घणी कथाओ छे. प्रस्तुत कृतिकारे एमांनी केटलीक कथाओनो संग्रह - १ पद्यमां कर्यो छे - जे नीचे मुजब छे.
श्री नाभेयजिनेश्वरो धनभवे श्रेयः श्रियामाश्रयः, श्रेयांसः स च मूलदेवनृपतिः श्रीचन्दनानन्दना । धन्योऽयं कृतपुण्यकः शुभमनाः श्रीशालिभद्रादयः, सर्वेऽप्युत्तमदानदानविधिना जाता जगद्विश्रुताः ।।
उपदेशतरङ्गिणी १/६१ आ सिवाय जीरणशेठ, पूरणशेठ, रेवती श्राविका, जेवा अन्य दृष्टांतो पण प्रख्यात छे.
[९] मेघवाहन नृपकथा -
जेम 'श्रीपाळ कथा' नवपदजीना महात्म्यने जणावनारी छे तेम प्रस्तुत कथा दानना महात्म्यने जणावनारी छे. दानना इहलोक अने परलोक ए बे फळ पैकी प्रस्तुत कथामां दान- इहलौकिक फळ विस्तृत रूपे अने परलौकिक फळ आंशिक रूपे ज जणावायुं छे. ढूंकमां नायकनु परदेशभ्रमण : अनेक राज्यप्राप्ति अने अनेक पत्नी वरण ए कथानो मुख्य विषय छे.
संस्कृत भाषामां निबद्ध प्रस्तुत कृतिमां क्यारेक प्राकृत के मारूगुर्जर भाषाना काव्यो [श्लोको] प्रयोजाया छे. आ काव्यो कथा प्रवाहमां आडखीली न बनता तेने वधु रोचक बनावे छे. क्यारेक तो संस्कृत गद्य खंडमां पण गुर्जर भाषा देखा दे छे. ___'उपदेशतरङ्गिणी' ग्रंथना 'दानोपदेश' अधिकारमा आ कथानो निर्देश मात्र छे. अन्य कोई स्थाने आ कथा प्राप्त थई नथी. बीजं प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रतनुं ७ नंबरनुं पत्र पण प्राप्त थयु नथी एमां पार्छ प्रतनी नकल [प्रथमादर्श उपरथी के अन्य प्रत उपरथी करनारे पण घणा लेखन दोषो कर्या छ तेथी कथा त्रूटक रहे छे. ___ग्रंथ वांचनारे के लेखके ग्रंथमां केटलाक ठेकाणे शब्द उपर ज नोंध करी छे. पण ते खूब नाना अक्षर होय स्पष्ट वंचाती नथी. तेथी अमे ते बधी आपी शक्या नथी.
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