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दिसम्बर • २०१३ स्त्रीप्रधान एम २ प्रकार कह्या छे.
उपरना बधा ज वर्गीकरण नजर सामे राखता कथाना त्रण प्रकार पण कही शकाय १. सत्यकथा २. काल्पनिक [असत्यकथा] ३. मिश्रकथा.
[१] सत्यकथा वास्तविक घटना - प्रत्यक्ष पणे जोयेली-अर्थात नजर सन्मुख बनेली अथवा परंपराथी सांभळेली घटना कथन ते सत्यकथा. महापुरुषोनाउत्तमपुरुषोना जीवनचरित्रो आ वर्गमां समाविष्ट थाय छे.
आ प्रकारमा एक एवी व्यवस्था छ के - 'जो आ घटना-कथा नजीकना काळमां बनी होय तो लेखक कथा के घटनाने व्यवस्थित रीते रजु करे छे. परंतु क्यारेक भावनी अधिकताथी के काळना विलंबने कारणे कथा लेखन करतां मूळ कथामां दधारो थइ जतो होय छे.' अर्थात् मूळ घटना थोडा के वधु अंशे फेरफार युक्त थइ जाय छे.
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, विमलमंत्रीप्रबन्ध, प्रभावकचरित्र, वस्तुपालचरित्र, सुकृतकीर्तिकल्लोलिनी, पेथडचरित्र जेवा अनेक ग्रंथो सत्यकथाना उदाहरणो छे.
[२] काल्पनिककथा [अवास्तविक घटना] - काल्पनिक पात्र-स्थळ-समयसंयोगना आधारे जीवनने आदर्श-उपदेश आपनारी कथा ते काल्पनिक कथा.
आवी कथाओनो मुख्य आधार कर्ता के लेखकनी कल्पना शक्ति छे. हितोपदेश, पंचतन्त्र, भरटकद्वात्रिंशिका, सिहांसनद्वात्रिंशिका, बृहत्कथासागर, दृष्टान्तसंग्रह जेवा ग्रंथो आ श्रेणिमां स्थान पामे छे.
[३] मिश्रकथा - कोई पण वास्तविक कथा-घटनामांथी कथाबीज लई पोतानी मतिकल्पनाथी कथाने रजु करवी ते मिश्रकथा.
जो अन्य रीते विचारीए तो कथामां कहेवायेला उपदेश वगेरेने आश्रयीने पण कथानी विभाजना थइ शके. जेमके शौर्य [साहस] कथा, शीलकथा, दानकथा, व्रतपालन कथा, नीतिकथा, परोपकार कथा, महात्म्यकथा वगेरे.
कथा कहेनार-लखनारनी दृष्टिए मुख्यकथा अने पेटा(अवांतर)कथा एवा बे भाग पण कही शकाय.
[१] मुख्यकथा - आदर्श तरीके राखेल व्यक्तिनी घटनाने लक्ष्य राखी ते कथा लखाय छे. तेमां अन्य कोई पात्र वगरेने विशेष स्थान होतुं नथी.
[२] आंतरकथा • मुख्यकथाने ज रसप्रद-आनंदप्रद बनाववा माटे कथागत पात्रना मुखथी के पात्रना संदर्भथी अन्य कथानो आश्रय लेवाय ते अवांतर कथा.
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