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श्रुतसागर - ३५
पू. गुरुजीना शब्दोमां कहीए तो आवी कथाओ के कथाग्रंथोमां इतिहासनी घणी-घणी वातो आलेखायेली होय छे अने आ वातो नवा इतिहासनी पृष्ठभू होय
कथागत-लोक-शास्त्र विषय निरूपण : -
प्रतिभाऽस्य हेतुः। [काव्यानुशासन १/२] व्युत्पत्यभ्यासाभ्यां संस्कार्या [काव्यानुशासन १/५] लोकशास्त्र-काव्येषु निपुर्णता व्युत्पत्तिः [काव्यानुशासन १/६] काव्यविच्छिक्षया पुनः पुनः प्रवृत्तिरभ्यासः। [काव्यानुशासन १/७]
उपरना चार सूत्रोनो अर्थ ए छ के - काव्यनी रचनानुं कारण प्रतिभा छे. ते प्रतिभा व्युत्पत्ति-अभ्यासथी संस्कारित होय छे. अने लोकशास्त्र [लोकव्यवस्था] अने काव्यशास्त्रमा निपुणता ए व्युत्पत्ति छे. काव्यज्ञ पासेथी शीखी ते काव्यकौशल्यने दृढ करवू ते अभ्यास छे.
प्रस्तुत 'कथासाहित्य' ए काव्यसाहित्यनो ज गद्य प्रकार छे. माटे तेमां पण प्रतिभा एटली ज कारणभूत छे. ए प्रतिभाना कारणे ज कर्ता के लेखक- लोकशास्त्रकाव्यशास्त्रनुं ज्ञान ए कथावगेरेमा प्रतिबिंबित थतुं होय छे.
तेथी आवी कथाओमां इतिहास-सिद्धान्त-लोकव्यवहार नीति! - लोकजीवनलोकभावनाना पाठो खूब मोटा पाये लखायेला होय छे. क्यारेक तेमांथी सामुद्रिकशास्त्ररत्नपरीक्षा-चिकित्सा-स्वरज्ञान-शकुनशास्त्र-स्वप्नशास्त्र-संगीतशास्त्र वगेरे विषयोनी जाणकारी पण प्राप्त थाय छे. कथाओ® वर्गीकरण :
आटली विशाळ संख्यक कथाओनो समावेश थोडा ज विभागमा करवो होय तो एन वर्गीकरण करQ पडे. ते वर्गीकरण विषय-शैली-पात्र-भाषा वगेरेने आश्रयी थई शके छे.
पूर्वाचार्यों द्वारा आवा अनेक वर्गीकरणो थया छे.
हरिभद्रसूरिजी महाराजे - समराइच्चकहामां कथाना धर्म-अर्थ-काम-संकीर्णकथाए चार प्रकार, दशवैकालिकसूत्र-नियुक्तिमा पण एज चार प्रकार, स्थानांगसूत्रमा - आक्षेपिणी-विक्षेपिणी-संवेजनी-निर्वेदिनी ए चार प्रकार, उद्योतनसूरिजीए कुवलयमालामां सकलकथा-खंडकथा-उल्लापकथा-परिहासकथा-संकीर्णकथा ए पांच प्रकार, हेमचन्द्राचार्यजीए काव्यानुशासनमां आख्यायिका-कथा-आख्यान-निर्दशनप्रहेलिका-मतल्लिका-मणिकुल्या-परिकथा-खण्डकथा-सकलकथा-उपकथाबृहत्कथा एम दश प्रकार, वर्धमानसूरिजीए युगादिजिणिंदचरियमां-पुरुषप्रधान
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