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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० अक्तूबर - २०१३ के साथ मुगल एवं फारसी की चित्र शैली का प्रभाव परिलक्षित होता है। जयपुर के श्री दिगम्बर जैन मन्दिर में संग्रहित ___ 'भकामर स्तोत्र' की सचित्र पोथी परिचय - सुभगणी द्वारा रचित 'भक्तामर स्तोत्र' की एक सचित्र पोथी जयपुर के श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैनमन्दिर में स्थित है। यह पोथी संस्कृत भाषा में मूल श्लोक, गद्य-पद्य मंत्र यंत्र, कथा सहित संवत् १८४२ (ई. स. १७८५) में लिपिबद्ध है। इसके चित्रों सहित कुल पत्रों की संख्या १०६ है। चित्रविहीन प्रत्येक पत्र पर सुन्दर अक्षरों में लिपिबद्ध मूलपाठ १३ पंक्तियों में अंकित है। इसमें २४ चित्रों के अतिरिक्त मंत्र यंत्र के चित्र भी समाविष्ट हैं, जिसमें कुछ के मध्य में व उपर आदिनाथ भगवान के चित्र बनाये गये हैं, अन्य चित्र सम्पूर्ण पृष्ठ पर बनाये गये हैं। जिनमें क्षितिज रेखा का पूर्णतः अभाव है यह पोथी मुख्यतः मुगल शैली से प्रभावित है। गोल चेहरा, कर्ण स्पर्श करते विशाल नेत्र, कन्धो को स्पर्श करते कर्ण, अत्यधिक विशाल उठे हुए वक्ष, क्षीण कटि, पद्मासन की मुद्रा में बैठे हुए आदिनाथ भगवान का चित्रण किया गया है। अन्य आकृतियों में सुन्दर सुगठित मनुष्य एवं देव आकृतिओ का अंकन है 1 देवताओं को घुटनों से हल्का नीचे तक की ऊंची धोती जिसके सम्मुख में एक साथ बहुत सी घुम तथा विस्तृत छोरों वाले लहराते दुपट्टे का अंकन है। तो मनुष्य आकृतियों में विविध प्रकार की पगड़ी, विस्तृत छोरों वाला पटका, विस्तृत छोरों वाले लहराते दुपट्टे का अंकन है चूड़ीदार पायजामा व घुटनों तक लम्बा जामा पहने चित्रित किया गया है। एक चित्र में घुमेरदार छाया प्रकाश की तान से युक्त घने वृक्ष का अंकन व जिस पर से झड़ते फुल व मंडराते पक्षियों का अंकन बना है । तो एक चित्र में कमल पुष्पों को सौन्दर्य युक्त बहुत ही कलात्मक रूप से अंकित कीया गया है। ___ आकाश में उमड़ते-घुमड़ते लहरदार बादलों का यथार्थ चित्रण किया गया है (राजस्थानी प्रभाव) व सूर्य, चन्द्रमा व तारो का भी अंकन किया गया है । लहरों से युक्त एक पट्टी के रूप में सागर का अंकन किया गया है, जिसमें मगरमच्छ व डुबते मनुष्य का सजीव चित्रण किया प्राप्त होता है । साथ ही इस प्रति में पशु आकृतियों का विषयानुरूप बहुत ही सजीव व यथार्थ चित्रण किया For Private and Personal Use Only
SR No.525283
Book TitleShrutsagar Ank 2013 10 033
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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