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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ७० सितम्बर २०१३ क्षमाकर्ता संतोष प्राप्त करता है। क्षमा करने के पूर्व पीड़ित व्यक्ति दोषी व्यक्ति की चोट से पहुँचे कष्ट को अपने हृदय से निकाल देता है। क्षमा की कोई शर्त नहीं होती है। क्षमा करते समय क्या ? कौन ? और कैसे ? जैसे प्रश्न उदित नहीं होते है | क्षमा के साथ किन्तु और परन्तु से नहीं जुड़ते है। अतः हम पूरी सही और सच्ची क्षमा प्रदान करें। ऐसी क्षमा के पश्चात् भविष्य में पुनः क्षमा करने की कभी भी आवश्यकता शेष नहीं रह जाती है। ऐसी क्षमा ही पवित्र क्षमा होती है। इस प्रकार क्षमा कर हम अपने संबंधों को घनीभूत बनाऐं पारस्परिक निकटता बढ़ाऐं । दोषी व्यक्ति के साथ दुर्भावना के स्थान पर सद्भावना विकसित करें । उसकी कभी बुराई न करें । उसकी सदा भलाई करें। उससे निकटता रखें । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only - जब हम क्षमा नहीं करते हैं तब नकारात्मक भावना को पाले रहते हैं । ठेस पहुँचाने वाले व्यक्ति के प्रति द्वेष और घृणा की भावना को अपने मन में बनाऐं रखते है । द्वेष ओर घृणा की ऐसी भावना हमारे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास को विपरीत रूप से प्रभावित करती है। अतः प्रतिशोध लेने के लिए गुस्से की आग को जलाऐं न रखें। ऐसी आग को बुझाने का प्रयत्न करें। यदि हम गुस्से की आग को बुझा नहीं पाते है तो यह आग हमें ही जलाने लगती हैं। इस आग से हम अनेक बीमारियों से पीड़ित हो जाते है | हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। क्रोध का हमारे शरीर पर घातक प्रभाव पड़ता है । क्रोध विष की भांति हमारे शरीर को क्षति पहुँचाता है। क्षमा शक्तिशाली दवा की भाँति हमें शांति पहुँचाती है। क्षमा स्वास्थ्य, सुख और उपलब्धि की वैज्ञानिक और सुदृढ़ सीढ़ी है। सकारात्मक चिंतन की आधारभूमि है। क्षमा हमारी आंतरिक शक्तियों को उन्मुक्त करती है। उन्हें रचनात्मकता और प्रभावकता प्रदान करती है। क्षमा करने से हमें पूरी संतुष्टि और राहत प्राप्त होती है। क्षमा हमारी महत्वपूर्ण संवेदना है। क्षमा की संवेदना को सीखना और अपनाना अत्यावश्यक है । परिणामतः हम सदैव क्षमा करने का निर्णय लें। क्षमा करने का निर्णय लेने के पूर्व समुचित और सही समझ के भाव विकसित करें। गंभीरता और लगन पूर्वक क्षमा की भावना को अपने जीवन में उतारें। अपनी जीवन शैली को रचनात्मक बनाऐं | अपने जीवन को सुखी, संतुष्ट एवं सार्थक बनाऐं । क्षमा की शक्ति का उद्घाटन कर विकास के चतुर्मुखी पथ पर आगे बढ़े।
SR No.525282
Book TitleShrutsagar Ank 2013 09 032
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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