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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ सितम्बर - २०१३ ||Qटक ॥ कमलउतपलगंध६३ सरिखा, रुधिरमांस सइर तणा। गाई दूध समान उज्व(ज्ज)ल, इसा अतिशय छइ घणा 11 अनंतगुणमणिरोहणाचल, रुपि मयण विशेषिइ। ते धन दिवस घडी अनोपम, जीणइ नयणे देखीइ 11८।। योवनभरि श्रीऋषभ आव्या, रूपइ सोहगसुंदरू! सकललक्षमी(क्ष्मी) तणुं सागर, वंछितदायक सुरतरु ||५|| ॥ ढाल-जाननु ।। वीवाह अवसरि कंपीउ रे, आसन इंद्र, ताम। देव-देवी सवि मिल्यां रे, कांई करवा रे वीवाहनुं काम। जिहां अठइ रिषभ जिन स्वामि, रूडी नयरी अयोध्या ठामि ।।१।। सुरासुर आवइ... भुवन-व्यंतर-योतिषी रे, वैमानिकनी कोडि | सामानिक अंगरक्षक मिलीआ, कांई आवइ निज रथि जोडि ।।२।। सुरासुर आवइ... इंद्र बोलइ अम्हे करिसिउं, वीवाह जिननु आज। इंद्राणी कहइ अम्हे करिसिउं, काई कन्यानुं वीवाह काज ।।३।। सुरासुर आवइ... रयण-सोवनजडित्त मंडप, चंद्रूआ४ चउसाल] ठामि-ठामिइं पूतली, जाणे मयण तणी हीइआलि ।।४।। सुरासुर आवइ... इस्या मंडप तिहां रच्या रे, मांडीउ वीवाह। जोउ समकित करइ निरमल, कांई इंद्राणीनउ नाह ।।५।। सुरासुर आवइ... For Private and Personal Use Only
SR No.525282
Book TitleShrutsagar Ank 2013 09 032
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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