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संपादकीय
श्रुतसागरनो ३० मो अंक आपना हाथमां छे.
दर महिने एक अंकनुं नवुं, सालं, अने सुंदर मेटर तैयार करता चित्तने कंईक अनेरी प्रसन्नता अने ठंडक मळे छे. आत्मसंतोष तो खरो ज!
आ आत्मसंतोष दर महिने श्रुतसागरना माध्यमे तमारी पासे पहोंचे छे. एनो अमने खूब आनंद छे.
आ अंकनी वात :
पू. महोपाध्यायजी भगवंतने कोण नथी जाणतुं, सूरतथी पू. सुयशचंद्रविजयजी म.सा. एमना हस्ताक्षरमां लखायेल प्रतपुष्पिका साथेनो एक लेख पाठव्यो. पू. महोपाध्यायजी भगवंते पोताना गुरुदेवश्रीमद्ना दीर्घायु अने सुकृतोनी अनुमोदना माटे आ प्रत लखावी चित्कोश (ज्ञानभंडारमां स्थापी ) मां राखी आ प्रकारना उल्लेखो तत्कालीन स्थितीने समजवामां कड़ी समान बनी रहे छे.
पार्श्वनाथ भगवाननी परम उपासिका देवी भगवती पद्मावतीनुं नाम सांभळता ज एमना केटलांक पीठ अने प्राचीन स्थानो आपणा मानस पर अंकित थाय एमांनुं ज एक स्थळ एटले नरोडा.
नरोडा जेटलुं बीजा कोई कारणोसर प्रख्यात नहीं होय एटलुं माता पद्मावतीजीना धाम तरीके प्रसिद्धि पाम्युं छे. पद्मावती माताना स्तोत्र पाठमां एक नवा स्तोत्रनो उमेरो थाय ए हेतुथी साधुकवि क्षेमकुशलजीनी आ रचना अत्रे प्रसिद्ध करी छे. दरेक गाथानी चोथी कडी "नित हुं वांदु पद्मावती" आ कडी सामुहिक नादमां पोतानुं वैशिष्ट्य दर्शावे छे तो पोतानी भक्ति अने माता प्रत्येनुं अथाग श्रद्धा बळ शब्दोमां पूरायेलुं जोवा मळे छे.
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एवीज रीते भक्तिनी साथे शुद्धिना स्वरूपने आवरी लेतो कषायविजयनो लेख मनन योग्य आप्यो छे. आपणा जीवनने कषायोनी फुग लागी छे. शास्त्रकारोए कषायनी फुगथी बचवा केटलांय समाधानो अने विकल्पो आप्या छे. एमांथी किंचित् कही शकाय एवा विकल्पो अने समाधानो आ लेखना माध्यमे रजु थया छे, हमणां क्यांक वांचेलुं के'
दुःखनी कोई दवा नथी, कारण के दुःख ए कोई रोग नथी.
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