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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरूपाइ श्राविकानी बार व्रत टीप हिरेन दोशी वि. सं. १६४६ना चैत्र शुद ८ना रविवारे नवानगर(जामनगर) निवासी उपकेश ज्ञातीय संधवी देवदास अने पत्नी वानूना पुत्र संधवी वधाना पत्नी सरूपाइए अंचलगच्छीय आचार्य श्री धर्ममूर्तिसूरि महाराज पासे ग्रहण करेला बारव्रतनी आ टीप छे. कृतिनी शरूआतमां वीर परमात्माने नमस्कार करी, आचार्य श्री धर्ममूर्तिसूरि महाराज अने अंचलगच्छर्नु स्मरण करे छ, आचार्य श्री धर्ममूर्तिसूरि महाराजना उपदेशथी वीतराग भगवाननी साक्षिए बारव्रतना उच्चारनी वात करे छे. देशी चोपाई अने त्रोटक छंदमां रचायेल आ कृति एक प्रवाहमा पूर्ण थाय छे. क्यांक क्यांक वर्ण अने प्रासनी द्रष्टिए कृतिमां चमत्कृति अनुभवाय छे. पण एवा स्थान ओछा छे. त्रोटक छंदनी रचनामां गान वधु सारी रीते खीले छे. कृति कुल ८६ कडीमां विस्तार पामी छे. कर्ता- नाम अज्ञात छे. कृतिना निर्देशानुसार श्राविका सरूपाइए धर्ममूर्तिसूरि पासे बार व्रत उच्चर्या हता. प्रतिलेखन पुष्पिका अनुसार बार व्रत ग्रहण स्थान जामनगर होवानी संभावना वधु छे. व्रत ग्रहण दरम्यान स्वीकारेला नियमो जणावता कहे छे. के’ रोज नवकारशीनु पच्चक्खाण अने पूजा करीश. भावथी २५ नवकारनुं स्मरण करीश अने दर वर्षे एक अंगलूंछणुं आपीश. चंदरवो अने घरेणुं वर्षे एकवार करावीश तो वहोरावधानो योग मळे तो एक मुहपत्ती वहोरावीश अने पांच दोकडा धर्मस्थानके वापरीश ईत्यादि जणावी बार व्रतनी वात विगते करे छे. कृति निर्देशानुसार स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत स्वीकार प्रसंगे घरना माप प्रमाणे पृथ्वीनुं खनन करीश, तो वृक्ष वावेतर के खेतीवाडी नहीं करु. ईत्यादि नियमोना स्वीकारनी वात करी छे. चतुर्थ व्रतना स्वीकार प्रसंगे सीता, सुलसा, चंदनबाळा ईत्यादि महासतीओनो नामोल्लेख कर्यो छे. तो शील पालनना फळ कथन रूपे नारद मुक्तिगामी थयानी वात कथा अंशने उजागर करे छे. शीलना पालनथी वाघ-सिंह अने भूत-प्रेतना उपद्रवो पण दूर थाय छे, इत्यादि जणावी शीलनो महिमा गायो छे. शीलने सूर्यनी उपमा आपता कवि कहे छे. के रात्रीना तिमिरने जेम सूरज दूर करे छे. तेम शील रूपी सूर्य भवना तिमिरने दूर करे छे. शील ए व्रतोमा सौथी कठिन छे. एटले ज शिरमोर छे. कविए आ प्रकारनी शीलनी विभावना द्वारा शील पालननी महत्ता अने अनिवार्यता व्यक्त करी छे. आठमा अनर्थदंड विरमण गुणव्रतना प्रसंगने अनुसरी For Private and Personal Use Only
SR No.525279
Book TitleShrutsagar Ank 2013 06 029
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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