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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मई - २०१३ साथे साथे ज्ञानमंदिर तरफथी रासपद्माकर - २, अने ज्ञानमंदिर तरफथी पुनःप्रकाशित शांतसुधारस भाग१-३नुं विमोचन थयुं हतुं. प्रभु प्रतिष्ठा अने प्रकाशन विमोचननो आ पावन प्रसंग खरेखर यादगार बनी रह्यो. प्रतिष्ठाना आ अक्सरे मुनिराज श्री विरागसागरजी म.सा. सीमंधर जिन स्तुत्यष्टकनी सुंदर रचना मोकलवा द्वारा पोतानी हाजरी अने हर्ष व्यक्त कर्यो. आ रचना खूब भावसभर हृदयनी नीपज छे, हैयुं ज्यारे परमात्मा प्रत्येनी अपरंपार लागणीनी आबोहवाना श्वास भरतुं थाय त्यारे आवी रचनाओ अनायासे लखाई जती होय छे. आ स्तुत्यष्टक आ अंकमां प्रकाशित थयुं छे. __ साथे साथे आ अंकनी विशेषता रूपे आचार्य श्री कैलाससागरसूरि महाराजना जीवननो संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत थयो छे, एमना जीवनबागना गुण कुसुमोनी सुगंध अहीं पाथरी छे, एमना जीवननो संक्षिप्त परिचय आ लेखनी प्रस्तुति सार्थ प्रकाशित थयो छे. आ अंकना मुख्य टाईटल रूपे प्रकाशित गजसार गणि द्वारा लिखित दंडकनी हस्तप्रतनुं अंतिम पत्र पूज्य शासनसम्राट् श्री नेमिसूरीश्वरजी म.सा.ना समुदायना आचार्य श्री विजयसोमचंद्रसूरि म.सा.ना सहयोगथी प्राप्त थयुं छे. आवता अंकनी एक बात आ अंके ज्ञानमंदिर तरफथी दर जीजा अंके विशिष्ट विषय अने नोंधना समुच्चय रूपे श्रुतसागर प्रकाशित थाय छे. आ अंक पछीना अंकमां बारव्रत टीप समुच्चय रूपे प्रकाशित करवा आयोजन छे. आ व्रत टीपो प्रकाशित थवाथी पूर्वकाळमां श्रावक श्राविकाओए गुरुभगवंतो पासे लीधेलां व्रतोनी नोंध, व्रतनुं स्वरूप, अने श्रावक श्राविकाओना जीवन साथै जोडायेली केटलीक ऐतिहासिक विगतो प्रकाशमां आवशे. तो साथे साथे ए समयना धार्मिक वातावरणनी पण नोंध मळशे. व्रत ग्रहण संबंधी कोई अप्रकाशित कृति आपश्री पासे होय तो अमने प्रकाशकना सरनामे मोकलवा विनंती. आपश्रीना नामनो योग्य उल्लेख करवामां आवशे. For Private and Personal Use Only
SR No.525278
Book TitleShrutsagar Ank 2013 05 028
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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