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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८ के पूर्वार्द्ध में होना सिद्ध नहीं होता, क्योंकि समरासाह का समय १३७१ से १४१४ निश्चित है, पर इसके विषय में विचार करने पर ज्ञात हुआ कि वह रासकार की भूल है । और वह भूल संभवतः किम्वदन्तियाँ और देपालकृत समरा सारंग के कडखे के कारण हुई होगी। श्रीयुत् मोहनलाल दलीचंद देसाई महोदय ने जैनयुग, वर्ष ५. अं. ९-१० वैशाख, ज्येष्ठ के अंक में उपर्युक्त " कवि देपालकृत समरासाह का कडखा" प्रकाशित किया है। देसाई महोदय ने उस पर एक नोट लगा कर उपर्युक्त आपत्ति का निवारण कर दिया है, जो निम्नोक्त है : " कवि देपाले मांगरोलना सरोवरनी पाळे चारणो पासे जे जूना कडखो कवित्त सांभळ्या ते अहीं नोंधेल छे. ते कवित्त करनारा एकनुं नाम शंकरदास छे" “समरा अने सारंग बन्ने भाईओ हता, मोटो संघ लइ संवत् १३७१मां सिद्धगिरि तथा गिरनारनी यात्रा करी हती. आ कवि देपाल सोलमा सैकानी शरुआतमां थएल छे." मई २०१३ - "समरा सारंग देसलहरा हता अने तेमना वंशजो देसलहरा कहेवाता हता. ते वंशजोनो आश्रित ते हतो, नहीं के समरा सारंगनो. कारण के समरा सारंग सं. १३७१मां थया ज्यारे देपाल सं. १५०१ थी १५३४ सुधीमां हयात हतो, बन्ने वच्चे लगभग सो ऊपर वर्षोनुं अंतर छे" For Private and Personal Use Only इससे उपर्युक्त आपत्ति का सर्वथा निरसन हो जाता है। ४. अब एक चौथा प्रश्न और भी विचारणीय रह जाता है वह यह है कि रासकार ने कोचरसाह जब व्यापारार्थ खंभात आया तब वहाँ तपगच्छनायक से व्याख्यान श्रवण करने का लिखा है । सुमतिसाधुसूरि का इसी ऐतिहासिक राससंग्रह भाग-१, पृ-२९ (राससार) में जन्म १४९४ दीक्षा १५११, गच्छनायकपद १५१८ और स्वर्ग सं. १५५१ लिखा है । अतः सुमतिसाधुसूरि के समय में यदि कोचरसाह हुए हों जैसा कि रासकार ने बतलाया है तो उनका समय भी सं. १५१८ से १५५१ होना चाहिए परन्तु आगे बताए हुए प्राचीन विश्वसनीय प्रमाणों के सामने रासकार की यह बात स्खलनायुक्त ज्ञात होती है। कोचरसाह और साजणसी के समय खंभात का अधिपति कौन था ? कोचरसाह को १२ गाँव का अधिकारी किसने बनाया? इसके विषय में रासकार एवं पट्टावलीकार दोनों ने ही कोई नाम-निर्देश नहीं किया। अत एव उस सम्बन्ध में ऊहापोह करने का यहाँ अवकाश नहीं है । ५. खरतरगच्छ की पट्टावली से कोचरसाह के समय का ही प्रकाश नहीं
SR No.525278
Book TitleShrutsagar Ank 2013 05 028
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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