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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार्च - २०१३ स्तोत्रना कर्ता महेंद्रसूरि महाराज छे. कृतिमा कर्ता संबंधी बीजो कोई उल्लेख प्राप्त थतो नथी. महो. जयसागरकृत चिन्तामणि पार्शजिम स्तोत्र प्रत परिचय : अंदाजे विक्रमनी अढारमी सदीमां लखायेली हस्तप्रतमां महोपाध्याय जयसागरकृत पार्श्वनाथ स्तोत्र मळे छे. ज्ञानमंदिरमा ३५८४६ नंबर पर नोंधायेली आ प्रतमां कुल १ पत्र छे. आ स्तोत्र सिवाय आ प्रतमां पार्श्वनाथ भगवान संबंधी ३ स्तोत्रो प्राप्त थाय छे. अन्य विशेष परिचय प्राप्त थतो नथी, पण प्रतादिना अक्षरो जोता वि. सं. १९मी सदीनुं अनुमान थई शके... कृति-सार : प्रस्तुत स्तोत्र खरतरगच्छीय आचार्य जिनराजसरि महाराजना शिष्य कवि जयसागरजी महाराजनी रचना छे. आ कृतिमां कवि-महाराजे पार्श्वनाथ भगवानना स्मरणनो विशेषे महिमा गायो छे. आ स्तोत्रनी रचना बारडोली नजीक आवेल घणदेवी (गणदेवी) गाममां थई, गणदेवीमा मूळनायक तरीके बिराजमान श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवाननी स्तवना ए आ कृतिनुं कथित तत्त्व छे. धरणेंद्र-पद्मावती सेवित श्री पार्श्वनाथ भगवाननुं त्रण संध्याए स्मरण करवा पूर्वक नमन करवाथी आपत्ति अने विघ्नोनो नाश थवाथी ऋद्धि-समृद्धि पण आवी मळे छे. जे कोई भविक जीव पार्श्वनाथ भगवानना मंत्रनुं स्मरण करे छे एनी आधि-व्याधि अने उपाधिओ दूर थाय छे. प्रस्तुत कृतिमां संसारना ऐहिक सुखो आपी शके ए तमाम वस्तुओनी उपमाथी प्रभुने बिरदाव्या छे. कारण के प्रभु ऐहिक अने पारलौकिक बन्ने भयोमा उपकारी बने छे. पार्श्वनाथ भगवाननुं निरंतर स्मरण करवाथी जन्म-जन्मांतरनु दासत्व दूर थयाना दाखलाओए इतिहासना पानाओ भरी आप्या छे. मंत्रना प्रभावे भूत-प्रेत-पिशाचादि पण दूर थाय छे. पोताना गुरुमहाराज राजसागरनी कृपाथी आ स्तोत्रनी रचना गणदेवीमां करी छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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