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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मार्च २०१३ ४२ न कराय, जीव छोडी देवाय, पण व्रत केम छोडाय इत्यादि.... अहीं माता गुरु स्वरूप बनी अरणिकने सांत्वना आपी, सात्विकतानुं वावेतर करे छे. माता तुं कहीश, एम करीश. पण माराथी व्रत पालन नहीं थाय. तुं कहे तो हुं अणसण स्वीकारी लऊं, पण व्रतनो भार माराथी वहन नहि थाय, इत्यादि अरणिक पोतानी वात माताने जगावे छे. वर्षो पहेला मोहनी घेरी निद्रामा पोढेला अरणिकने माता मीठां वचनोथी जगाडे छे. माता फरीथी व्रतनुं आचरण करवानी वात करे छे, माता समजावी गुरुभगवंत पासे लई जाय छे, अरणिक फरीथी महाव्रत लई, अणसणनी आराधना करवा, गीष्म- काळमां सिद्धगिरिराज पर जई, जया शिला पूंजी संथारो करे छे. माखणनी जेम शिला उपर अरणिकनो देह ओगळी जाय छे, अरणिक ध्यान बळे काळ करी स्वर्गे पधार्या. ढाळ आठमी, कडी - ६ (कडी क्रमांक ७३-७८) राग धन्यासी आ प्रमाणे अरणिके दुष्कर एवा उष्ण परिषहने सहन कर्यो, कर्म खपाव्या. आ ते संयमना एक गुणनी पण विशिष्टपणे आराधना करवाथी आत्मानो विकास थाय छे, पाछळनी ऋण गाथाओमां कविए पोतानी गुरु-परंपरा जणावी छे. कृतिनाम अरणीक मुनिनी ढाळो अर्हनकमुनिनी कथा अरणिकमुनि सज्झाय अरणिकमुनि सज्झाय अरणिकमुनि कथा अरणिकमुनि सज्झाय अरणिक मुनि आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां संगृहीत अरणिकमुनि संबंधी कृतिओनी नोंध अरणिकमुनि सज्झाय अरणिकमुनि सज्झाय अरणिकमुनि दृष्टांत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्तानाम अज्ञात अज्ञात अज्ञात जैन अज्ञात जैन श्रमण अज्ञात जैनश्रमण अज्ञात जैनश्रमण अज्ञात जैनश्रमण अज्ञात जैनश्रमण अज्ञात जैन श्रमण अज्ञात जैनश्रमण For Private and Personal Use Only भाषा मा.गु. गु. गु. मा.गु. गु. मा.गु. गु. मा.गु. मा.गु. मा.गु.
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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