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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजयशेखर विरचित अरणिक रास आकृति प्रायः अप्रकाशित छे. सागरचंद्र रासनी जेम आ कृतिना रचनाकार गणि विजयशेखर महाराज छे. कविए रचनाना आधारनो उल्लेख करेल नथी, पण ए समयमा प्रचलित कोई गद्य चारित्रना आधारे, आ रासनी रचना थई होवानी संभावना छे. कृतिनी आदिमां निर्मल-बुद्धि प्रदात्री सरस्वती मातानी स्तुति करी, अरणिक मुनिना चारित्रनो प्रारंभ करे छे. रासनी रचना पाछळ कविना उद्देशमां गुणानुवाद, मननी शुद्धि, अने कांईक नवुं आपवानी वृत्ति विशेषे रही छे. वाचकने अरणिक ऋषिना जीवन आसपास गंथायेली घटनाओमांथी एक अनेरो कथा-प्रवाह मळी आवे छे. आखी कृति देशी - त्रोटक छंदोबंधमां रचायेली छे. कृति - लेखनमां प्रायः ह्रस्व घणां शब्दो दीर्घ थया छे. दा. त. सूख-सुख, मुनी - मुनि, विगेरे...ए तमाम सुधारा मूळ पाठमां करी लेवामां आव्या छे. पहेली, बीजी, ढाळमां ढाळ क्रमांकनो निर्देश नथी. ३जी अने ७मी ढाळनो क्रमांक आपवानो रही गयेल छे. • अरणिक मुनिनुं कथानक जैन समाज अने जैन-कथाओमा बहु प्रचलित छे. मध्यकालीन साहित्यए पेट भरीने अरणिकमुनिना गुण-गान गाया छे. आठ ढाळमां आखं कथानक विराम ले छे चढाव उतार ए कांई आपणी जिंदगीमां ज बनती घटना छे, एवं नथी. भरती ओटना प्रसंगो तो ए महापुरुषना जीवन- किनारे य मळी आवे छे. पतन अने उत्थान ए मानव समाजमां बनती एक विशिष्ट घटना छे. प्रकृतिमां अन्य कोई स्थळे आवी प्रक्रियानो समन्वय नथी. जन्म अने मृत्युना बे छेडा वच्चे रहेला जीवनमां, कोई पशु क्यारेय पोतानुं रूपांतरण करी शकतुं नथी, पशु इच्छे तो पण जन्म अने मृत्यु बच्चे रहेलां जीवनमां फेरफार थई नथी शकतो, ज्यारे मनुष्यनी ऊंचाई अने ऊंडाई तद्दन जुदी छे, एनी भात अनोखी छे. एनी पासे चडवाना अने पडवाना रस्ताओ छे. कथाओमां मळता पतन अने पुनरुत्थान ए मानवजीवनने नवी दिशा अने नवी दशा आपवामां धणे अंशे फळदायी बने छे. नबळा समये जे व्यक्ति पतननी खाईमां पहोंची जाय छे. ए ज व्यक्ति समय आवता आध्यात्मिकताना अव्वल अने ऊंचा शिखरो सर करी दे छे. आ आखुं कथानक आवाज अर्थनुं सूचक अने ज्ञापक छे. कडी १५ (कडी क्रमांक १-१५) छंद त्रोटक सुख समृद्धिथी भरपूर तगरा नामे नगरीमा दत्त नामना एक श्रेष्ठी त्यां निवास करे छे, तेनी पत्नी भद्राना कुखे अरणिकनो जन्म थाय छे. काळक्रमे For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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