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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार्च - २०१३ सूधउ धर्म समाचरि रे सागरचंद कुमार सोभागी, विलसई सूख संसारना रे, विचि-विचि६ अरथ-प्रकार सोभागी ११ सांभलउ धर्म करउ.. पर्वदिवसि एकणि दिनइ रे, पोसह उचरिउ जांणि सोभागी, कर्ममूल ऊच्छेदवा रे, काऊसग करिउ मसाणि३७ सोभागी. १२ सांभलउ धर्म करउ... नभसेन तेणइं अवसरि रे, एकलउ दीठो सोय सोभागी, नयणे जोतउ चिहूं दिसई रे, आगलि पाछलि कोय सोभागी. १३ सांभलउ धर्म करउ... क्रोधि मनमि धम-धमई रे, जांणइं आणुं अंत सोभागी, क्रोध कहउ सिउं नवि करि रे, परिहरउ अमरस संत सोभागी. १४ ___ सांभलउ धर्म करउ... चहि“ बलती देखी तिसइ रे, धगधगता अंगार सोभागी, जीरण घट-खप्पर भरी रे, मूंकई मांथि गमार सोभागी. १५ सांभलउ धर्म करउ... आपण पूं धन्य मानतउ रे, कालमूहउ गयो नासि सोभागी, सागरचंद तेणि समि रे, समरस चरमऊसासि सोभागी. १६ सांभलउ धर्म करउ... धरम-ध्यांन चिति भावतउ रे, मूंकिउ रागनई द्वेष सोभागी, सहितउ वेदन-दोहिली रे, खिमा-धरी सुविसेष सोभागी. १७ सांभलउ धर्म करउ... खिणिमइ काल करी गयउ रे, स्वर्गलोकि सोधरमि सोभागी. अपच्छरि मोती वधावीयउ रे, देखी अवतरिउ मरमि सोभागी. १८ ___ सांभलउ धर्म करउ.. विदेह खेत्रि लहिसि वली रे, उतमकुलि अवतार सोभागी, कर्म खपावी पांमस्यइं रे, मूगतिपुरीसुखसार सोभागी. १९ सांभलउ धर्म करउ... For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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