SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर - २६ www.kobatirth.org पुरुष योडिपुर मिलही रे लाल, सुंदरी मांनि तु साच मनमोहिउ रे. ३४ अवतरिउ रूप- गुणे करी रे लाल, कामदेव अनरूप मनमोहिउ रे, सागरचंद सोहामणउ रे लाल, वडभागी वडभूप मनमोहिउ रे. ३५ नभसेन बीजउ निहालीयो रे लाल, क्रोधी कुरूप आकार मनमोहिउ रे, निरगुण नीसत' जांणीइ रे लाल मनि मोटिम अहंकार मनमोहिउ रे, ३६ वात सूणी रिषिनी इसी रे लाल, कुंयरी चिंतवई एम मननोहिउ रे, सागरचंद पति जउ हुवि रे लाल, तो वाधि सूख प्रेम मनमोहिउ रे. ३७ रिषि प्रति राग धरी करी रे लाल, बाला बोलि वांणि मनमोहिउ रे, भायग" तिसिउं दीसि नही रे लाल, पापणी पडी दुखखाणि मनमोहिउ रे. ३८ वैरी पिता मझ जांणीयइ रे लाल, बात विमासी न किद्ध मनमोहिउ रे, नभसेन वर नहीं तेहवो रे लाल फोकटि एहनि दिद्ध मनमोहिउ रे. ३९ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७ कुंयर बोलि कृतिकी.... कुंयर बोलि कृति की..... कुंयर बोलि कूतिकी.... कुंयर बोलि कूतिकी..... कुंयर बोलि कूतिकी... कुंयर बोलि कूतिकी....
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy