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श्रुतसागर - २६
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पुरुष योडिपुर मिलही रे लाल, सुंदरी मांनि तु साच मनमोहिउ रे. ३४
अवतरिउ रूप- गुणे करी रे लाल, कामदेव अनरूप मनमोहिउ रे, सागरचंद सोहामणउ रे लाल, वडभागी वडभूप मनमोहिउ रे. ३५
नभसेन बीजउ निहालीयो रे लाल, क्रोधी कुरूप आकार मनमोहिउ रे, निरगुण नीसत' जांणीइ रे लाल मनि मोटिम अहंकार मनमोहिउ रे,
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वात सूणी रिषिनी इसी रे लाल, कुंयरी चिंतवई एम मननोहिउ रे, सागरचंद पति जउ हुवि रे लाल, तो वाधि सूख प्रेम मनमोहिउ रे. ३७
रिषि प्रति राग धरी करी रे लाल, बाला बोलि वांणि मनमोहिउ रे, भायग" तिसिउं दीसि नही रे लाल, पापणी पडी दुखखाणि मनमोहिउ रे. ३८
वैरी पिता मझ जांणीयइ रे लाल, बात विमासी न किद्ध मनमोहिउ रे, नभसेन वर नहीं तेहवो रे लाल फोकटि एहनि दिद्ध मनमोहिउ रे. ३९
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कुंयर बोलि कृतिकी....
कुंयर बोलि कृति की.....
कुंयर बोलि कूतिकी....
कुंयर बोलि कूतिकी.....
कुंयर बोलि कूतिकी...
कुंयर बोलि कूतिकी....