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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ मार्च - २०१३ ढाळ चोथी, कडी - १४ (कडी क्रमांक ६६-७९) चंद्राउलानी देशी. आ ढाळ कडी क्रमांक १ थी प्रारंभाय छे. कडी क्रमांक १ अने २ एना पछीनी कडीओमां पुनरावृत्ति पामे छे. त्यारबादनी कडीने ३ नंबर आपेल छे. पछीनी दरेक कडीओमां सळंग क्रमांक लखायो छे. आ ढाळ चंद्राउला (चंद्रायणो के चंद्रायणी)नी देशीमां रचायेली छे. चंद्रायण कुंडळीया प्रकारना छंदनुं नाम छे. एनो एकम बे छंदोनी (दुहा के आर्या अने कामीनीमोहन) कडीओनो बनेलो होय छे. अने पहेली कडीना अंतिम शब्दो बीजी कडीना आरंभे पुनरावृत्त थाय छे. आ बाजु धनसेनना गृहांगणे लग्नना मंगल गीतो गवाय छ, धूपनी सुगंधी धुम्रसेरोमां आय वातावरण मद-मस्त बन्युं छे. शरणाईना सूरो वातावरणने वधु मादक बनावे छे. रथ, हाथी, अने पायकोनी विशाळ संख्या साथे नभसेन कमलामेलाने परणवा आवे छे. त्यारे अंतःपुरमां कमलामेला जणाती नथी, हाहाकार मची जाय छे. जान लईने आवेल नभसेन सहित समग्र परिवारजनने ख्याल आवी जाय छे. के कमलामेलानु अपहरण थयुं छे. साथे आवेलो जन-समुदाय अंदर-अंदर धीमाधीमा सादे कमलामेला संबंधे प्रलाप करे छे. आq वातावरण जोई नभसेन नीसासा नांखतो, साव धरातल वगरनो थई जाय छे. ए समये बधा यादवो कमलामेलाने शोधता-शोधता रैवत उद्यानमां आवे छे. अने त्यां प्रद्युम्न अने शांब साथे सागरचंद्र अने कमलामेलाने जुए छे. राजा उग्रसेन अने पिता धनसेन कमलामेलाने बहु कटु-वचनो संभळावे छे. आ सांभळी शांब क्रोधे भराय छे, कमलामेलानी शोधमां आवेला यादवो साथे शांब, युद्ध थाय छे. शांबना बळनी सामे यादवो परास्त थाय छे. शांबरों बळ जोई राजा उग्रसेन विगेरे उद्यानमांथी पाछा वळे छे. ढाळ पांचमी कडी - ११ (कडी क्रमांक ७९-९०), राग भूपाली, चौपाईनी देशी. __ वात हवे विकट बनी रही, बळ खूटी गयुं, कळ वापरवा राजा उग्रसेन एकपक्षे आखी वात कृष्णने जणावे छे. राजा उग्रसेन अने धनसेन कृष्णने लईने आ वातनो न्याय करवा रैवत उद्यानमां आवे छे. आखी घटनामां पोताना पुत्र शांबना पराक्रम जोई कृष्ण शांबने खखडावे छे. पुत्रए करेलुं पराक्रम पिताना मनमा पस्तावानुं कारण बनी गयुं छे. तने कोई कहेनार नथी, शरम न आवी...इत्यादि शब्दो द्वारा पुत्र-पितानो गरमा-गरम संवाद चाले छे. तो शांबना पक्षे परणेली कन्या केम अपाय..... अने परणेली कन्या कोईए आपी होय एवू कोई शास्त्रमा क्यांय संभळातुं नथी, बे आंख जेवा सागरचंद्र अने नभसेन वच्चे अंतर शाने विचारो छो..आवा तर्को-वितर्कोना बळे कृष्ण, उग्रसेन, For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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