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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मार्च - २०१३ १४ होय एवं लागता, क्रोधे भरायेल नारद नक्की करे छे के गमे तेम करीने आने शिक्षा तो करवी जोईए, जेथी आ अंहकारी सीघो थाय.... आम विचारी नारद सागरचंद्रना घरे आवे छे. नारदनी पधरामणी थतां ज सागरचंद्र प्रसन्न थाय छे, साथे नारदने पण कुमार प्रत्ये अनुराग जागे छे. सागरचंद्र आसनादि आपी, नारदनो विनय साचवे छे, नारद खुश थाय छे. नारद साथेनी वात-चीत दरम्यान सागरचंद्र नारदने पूछे छे. के स्वेच्छाए विचरतां तमे आ नगरमा आश्चर्य जनक कांई जोयुं ?, नारद जवाबमां कहे छे - आ नगरमां एक आश्चर्य जोयुं छे, राजा धनसेननी पुत्री रूपे रंभा समान कमलामेला, नारद एना गुणनी अने रूपनी वात सागरचंद्रने करे छे. - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नारदना वचनथी सागरचंद्रनुं मन कमलामेलाना विचारोथी भराई जाय छे. एना श्वास उतावळा, अने नयनो अधीरा बने छे. कमलामेलानी प्रीतमां रंगायेलो सागरचंद्र कुमार नारदने येन केन प्रकारेण कमलामेलानी प्राप्तिनी विनंती करे छे. ढाळमां १ संस्कृत अने १ प्राकृत श्लोक आप्यो छे. ढाळ बीजी, कडी १८ (कडी क्रमांक १-४३), अलबेलानी देशी आ ढाळमां कडी क्रमांक १ थी प्रारंभ थाय छे. २जी कडी पछी, प्राकृत श्लोक आवे छे. एनो क्रमांक २७ आपेल छे. त्यारबाद कडीने २८ थी आ क्रम अपायेल छे. सळंग ४३मी कडीए ढाळ पूरी थाय छे. एटले आ ढाळ कुल १८ कडीनी थाय छे. वात आगळ चाले छे, कुमारना हृदयमां कमलामेलाना धबकारा धबके छे. आ बाजु नारद सिवाय कोई कमलामेला विशे जाणतुं न होवाथी सागरचंद्र कुमार नारदने पूछे छे. के एनो हाथ कोईना हाथमां अपाई गयो छे ? शुं ए कोईने वरी चूकी छे ? नारद जणावे छे. के उग्रसेनना पुत्र साथै एनी सगाई थई छे, पण • उग्रसेन राजाना पुत्रमां रूपना कोई ठेकाणा नथी. (पोतानी साथे थयेलुं वर्तन जो खराब होय तो माणसने ए व्यक्तिनी कोई वात सारी के साची लागती नथी. अहीं नारद पण नभसेनने कुरूप अने निर्गुण जणावी रह्यां छे.) आ सांभळी कुमार कहे छे के मारो कमलामेला साथे संगम केवी रीते थशे. ? नारद पण सागरचंद्र कुमारना मनने समजी, आ संबंध जोडाय एवो प्रयत्न करवानुं आश्वासन आपी. नारद त्यांथी नीकळी कमलामेलाना आवासमां पहोंचे छे. कमलामेला पण नारदने सागरचंद्रनी जेम नगरना आश्चर्य विशे पूछे छे. नारद कहे छे. सागरचंद्र जेवो रूपवान कोई जोयो नथी, अने नभसेन जेवो क्रोधी, कुरूप, अने वक्राकार कोई बीजो जोयो नथी. अहीं नारद सागरचंद्र अने नभसेनना माध्यमे कमलामेलाने For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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