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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० मार्च - २०१३ लाभशेखर → कमलशेखर → सत्यशेखर → विनयशेखर , विवेकशेखर महाराजना शिष्य गणि विजयशेखर थया, विजयशेखरनो सत्ता-काळ : विक्रमनी सत्तरमीना उत्तरार्धमां अने अढारमीना पूर्वार्धमां गणि विजयशेखर महाराजनी रचनाओ सारा एवा प्रमाणमां मळी आवे छे. विक्रमनी सत्तरमीना उत्तरार्धमा विजयशेखरनी दीक्षा अने प्राथमिक अध्ययन थयु होवानी संभावना छे. सुदर्शन रास अने चंदराजाना रासनी रचनामा जणाच्या अनुसार गणि भावशेखर एमना वडिल गुरुबंधु, के प्रायः विद्यागुरुना स्थाने होवानी शक्यता छे. श्री देशाई साहेब जैन साहित्यना संक्षिप्त इतिहासमा विजयशेखर गणिनो अंदाजित काव्यकाळ वि. सं. १६४३-१६९४ नोंधे छे, ज्यारे जै.गू.क. (भा. ३ पे, २३५) मां ऋषिदत्ता रासनी रचना संवत् १७०७ दर्शावाई छे. विजयशेखरने गणि पद क्यारे मळ्युं, कयां नगरमां मळ्युं इत्यादि कोई उल्लेख मळ्यो नथी. परंतु ज्ञानमंदिरमां संगृहीत वि. सं. १६९६मां कविनां हस्ताक्षरमां लखायेल सम्यक्त्व-स्तवननी प्रतपुष्पिकामां कविए पोताना नामनी पाछळ गणि शब्द प्रयोज्यो होवाथी वि. सं. १६९६ पहेलां गणि-पदथी विभूषित हता, ए, निश्चयथी फलित थाय छे. १७मीना उत्तरार्धथी १८ मीना उत्तरार्धमा विजयशेखर महाराजनी सत्ता संभवे छे. विजयशेखरनो रचना-काळ : वि. सं. १६७९ वर्षे महा शुदि-२ना जेसलमेरमां पार्श्वनाथ भगवाननी कृपाथी आवश्यकसूत्रना आधारे ८ ढाल अने ११८ गाथामा सागरचंद-मुनि रासनी रचना करी, वि. सं. १७०३ पहेला ७७ कडीमां अरणिक रासनी रचना करी, आ रासनी रचना प्रशस्तिमा आचार्य कल्याणसागरसूरि महाराज माटे जंगम-युगप्रधान बिरुदनो उल्लेख करे छे. आ रासनी रचना संवतादि प्राप्त नथी. वि. सं. १७०३मां लखायेली प्रत ज्ञानमंदिरमां संग्रहित छे, जे प्रायः कृतिना नजीकना समयनी हस्तप्रत होवानी संभावना छे. जो के रासनी रचना प्रशस्तिमा आपेल शब्द-संवत मुनि सागर ससिधर ना सांख्यिक उल्लेख परत्वे विद्वानोनु मंतव्य स्पष्ट थयुं नथी, अंचलगच्छ- दिग्दर्शनमां संपादक श्रीपार्श्वए ऋषिदत्तारासनी रचना-संवत वि. सं. १७१७ जणावी छे. तो, श्री देशाई साहेबे ए ज रासनी रचना संवत वि. सं. १६७७ नोंधी छे. तेमज जै.गू.क.ओनी श्रीजयंतभाई संपादित आवृत्तिमा ऋषिदत्ता रासनी नोंधना अंते श्रीजयंतभाईए ससिधरनो अर्थ चंद्रकला कर्यो, अने एनी संख्या १६ मूकी, आ रासनी रचना संवत १६७७ पण होई शके एवो प्रश्नार्थ कर्यो छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525276
Book TitleShrutsagar Ank 2013 03 026
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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