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जुलाई २०१२
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर एक नजर में
डॉ. हेमंत कुमार ० यत्र-तत्र बिखरी पड़ी श्रुतज्ञान विरासत रूप हस्तप्रतों का संकलन करते हैं. ० विश्वभर से अनेक विषयों एवं भाषाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही पुस्तकों का संकलन करते हैं. ० दो लाख हस्तलिखित ग्रंथों का अभी तक संकलन किया गया है. ० डेढ़ लाख मुद्रित पुस्तकों का अभी तक संकलन किया गया है. ० बीस हजार से अधिक शोध परक लेख युक्त पत्र-पत्रिकाओं का संकलन है. ० जैनधर्म व प्राच्यविद्या से संबंधित विभिन्न विषयों व भाषाओं की पांडुलिपियाँ एवं पुस्तकें हमारे पास हैं. ० विभिन्न प्राचीन जैन ज्ञान भंडारों की माइक्रोफिल्म, जेरोक्स आदि सूचनाएँ हमारे पास हैं. ० जो पुस्तक कहीं न मिले वह कोबा में मिल जाएगी, ऐसी अवधारणा है पूज्य साधसाध्वीजी, विद्वानों संशोधकों की. ० संगृहीत साहित्य की सूक्ष्म व बृहद् सूचनाओं को कम्प्युटरीकृत प्रोग्राम में संकलित करते हैं जिससे अल्पावधि
में ही वाचकों को अपेक्षित पुस्तकें उपलब्ध कराई जा सके. ० श्रमण भगवंतों के मार्गदर्शन में विभिन्न विषयों व भाषाओं के निष्णात विद्वानों की टीम सूचना संकलन कार्य में
सतत कार्यरत है. ० संबंधित विषय की एकाध सूचना के आधार पर भी वाचकों को अपेक्षित पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है. ० वाचक पुस्तकों के पास नहीं जाते बल्कि पुस्तके वाचकों के पास पहुँचाई जाती हैं. ० पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों को उनके चातुर्मास स्थल पर अपने खर्च से पुस्तकें भेजते हैं. ० उपलब्ध साहित्य एवं अन्य विविध सेवाओं के द्वारा आत्मार्थी, जिज्ञासुओं की ज्ञान पिपासा को शांत किया जाता है. ० उचित व्यक्ति को उचित अध्ययन सामग्री, उचित समय पर, उचित स्थल पर उपलब्ध कराई जाती है. ० जैन व आर्य साहित्य की धरोहरों को संशुद्ध कर लोकोपयोगी ढंग से प्रकाशन कर जैन साहित्य की गरिमा
को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करते हैं.. ० श्रमणवर्ग, विद्वज्जन एवं प्रत्येक जिज्ञासुओं की ज्ञान-पिपासा की तृप्ति में ही हम आनंद व संतोष का अनुभव
करते हैं. ० प्राचीन व अर्वाचीन जैन साहित्य की सूचनाओं का ऐसा विशिष्ट संग्रह है कि यहाँ से जैन व प्राच्यविद्या से संबंधित साहित्य
व सूचनाएँ प्राप्त करना हर किसी के लिए अपने आप में एक आह्लादक अनुभव बन जाता है. ० सांस्कृतिक-पुरातात्विक धरोहरों को यथारूप आने वाली पीढी को सौंप कर हम सुखद भविष्य का निर्माण
करने में सक्षम सिद्ध होंगे. ० जैन एवं आर्य सांस्कृतिक-पुरातात्विक धरोहर रूप नमूनों और कलावशेषों को विशिष्ट आधुनिक तकनीक द्वारा
संरक्षित कर हम अतीत को गौरव प्रदान कर रहे हैं. ० जैन व समग्र जगत मात्र के लिए हमारा अस्तित्व गौरवप्रद सिद्ध हो रहा है. ० जैन साहित्य व प्राच्यविद्या के अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में हम सदा अग्रसर हैं. ० जैन साहित्य व प्राच्यविद्या के क्षेत्र में होने वाले प्रत्येक विशिष्ट कार्यों को हम हमेशा सहयोग करते हैं, ० जैन साहित्य व प्राच्यविद्या के अन्वेषण-संशोधन के क्षेत्र में आने वाली प्रत्येक समस्याओं के लिए हम समाधान
रूप बने रहते हैं.. ० जैन साहित्य व प्राच्यविद्या के संग्रहण के क्षेत्र में श्रेष्ठता एवं निपुणता प्राप्त करना हमारा मुद्रालेख है.
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