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तुं सदा सहेजी तुझ तन तेजी दीपैं दीपक प्रकास जे अष्टमहाभय दुरिं टालो गालो वयरी वास खुवार करो खलखिण दाटौ बाटो वज्र सिलायें पोउत्र शूलै दक्षिण मुलें जिम मुलैथी जाय तस लजा पाडो वेग विगडो गाडी गर्तामाहिं तस नांम नसाडो दूरिं त्राडी फाडो पकडी वांह हिंवै नांम प्रकासो किस्युं कहीजै तुं जांणे सवि वात
जे देखी द्वेष घरै निकारण द्वेषी महा श्रीजात
ते वेग बिगाडो पारौं पाडो चाढो गर्धभ पुठि कर ग्रही कटारी घणुं अटारी मारिज जिग गुंठि मोह धरीजै सदा सुहाई माहि महिमावंत सुख संपति आपो चिंता कापो सुख थापी प्रसिधि आई पउमाई बहु रिधिदाई सदा सुहाई नित्य वर विभव बधारो दर्शन प्यारो तारो मुझ एकांति ऐं कांरी आणंदसुं आई क्लीं कारी बरदायीसू सोअंति नम जोड जयंता रिद्धि सिद्धि में पाई
मुझ महियल मल्हे पालि नैं सके कोई जे तुझनें ध्यावै सदा आराहँ ते जिंग मोटा होय जे मोहन भुरति अदभूत सूरति सेवक पुरति आस बासवर वंदित सदा आंनिंदित सूरज तेज प्रकास चौसठ पीछे प्रगट प्रभावी बद्धावी नृप आप नमो नमी तुझ नांम अनेका जपुं सदाई जाप २४ कवित्ततुझ पाय पसाय बहु बुद्धि रिद्धि बरसिद्धि सदाई पाइजे परतख्य बरदख्य सदाई माइ महिमावंत आस पूरीजे पउमा ज्युं जुगि किर्त्ति निवास पसरइ बहु महिमा श्रीपारसनाथ सासणस्वरीश्री सेवक जीण साधारणी
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बुध चारित्रसागर गुरु सिख्य कल्याणन जय जय कारणी २५ प्रतिलेखन पुष्पिका
इतिश्री भगवति श्रीपदमाउती स्तोत्र संपूर्ण लिखतं पं. धीरसागर संवत १७९४ वर्षे श्रीमकसूदायांद मध्ये श्रीरस्तु
इति पद्मावती स्तोत्र
प्रति परिचय प्रत संख्या ३०८३२. जिसमें ३ पन्ने हैं. जो सम्पूर्ण है. प्रत का नाप - प्रत की लंबाई-चौड़ाई२५.५०-११ से.मी. है. प्रति पृष्ठ पंक्ति संख्या ११ से १२ है. प्रति पंक्ति अक्षर ३७ से ४१ है. अक्षर सामान्य हैं. उपरोक्त प्रति कोबा गांधीनगर स्थित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में सुरक्षित है। अन्य प्रत संख्या ३७९०५. ३१२४०. ३१३२३. (३०४६७- खड़ी मि है अक्षर बेडौला है काल पानी प्रभावित है.)
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जून २०१२