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એપ્રિલ ૨૦૧૨
समारोह का विशिष्ट आकर्षण
श्रुतज्ञान महोत्सव के इस मंगलमय अवसर पर पूज्य गणधरों द्वारा स्थापित श्रुत परंपरा की भव्यता को श्री संजयभाई वखारिया अपनी प्रभावी शैली में उजागर करेंगे.
श्रतसंवर्धन के मंगल अवसर पर माननीय विशेष आमंत्रित अतिथि
श्री सुरेशभाई दलाल (मूर्धन्य कवि)
श्री जयेशभाई शाह (नमन बिल्डर्स) श्री प्राणलालभाई दोशी (उद्योगपति)
श्री शांतिलालजी कवाड (कार्यकारी अध्यक्ष, JITO). श्री चीमनभाई पालीताणाकर (मुंबई श्री शिक्षण संघ के मोभी) श्री सुभाषजी रुणवाल (ITO) श्री श्रीयकभाई अरविंदभाई शेठ (प्रमुख, श्री शंखेश्वर तीर्थ) श्री नरेशभाई शाह (वालकेश्वर) श्री वल्लभजी भंसाली (इनाम सिक्योरीटीज)
श्री माणेकलाल नानचंद (JITO) श्रीमती पिंकीबेन दलाल (मुंबई समाचार)
श्री नवीनभाई डी. महेता (JITO) श्री कुंदनभाई व्यास (जन्मभूमि)
श्रीमती मधुबेन हर्षदराय दोशी (वल्लभीपुर) श्री मोतीलालजी ओसवाल (मोतीलाल ओसवाल सिक्युरिटीज़) श्री हिरजीभाई मोरारजीभाई शाह
(प्रमुख - श्री सांताक्रुज जैन संघ) श्री चंपालाल वर्धन (प्रमुख - JITO)
श्री हेमंतभाई शाह (हब टाउन) श्री भरतभाई झवेरी (प्रमुख - बाबुलाल अमीचंद पन्नालाल ट्रस्ट) श्री भालचंद्रभाई जानी (गुजरात समाचार) श्री दिनेशभाई टी. शाह (एशियन स्टार एन्ड कं. लि.) श्री प्रवीणभाऊ सींगोटे (वार्ताहार, मुंबई चौफेर.
यशोभूमि, हिन्दमाता आदि) श्री रमेशजी शाह - लुंकड परिवार (सुमेरु बिल्डर्स) श्री मीनुभाई (नई दुनिया) श्री मंगलप्रभातजी लोढा (MLA प्रमुख-श्री लोढा धाम) श्री मनोजभाई मुरारका (बी.एन्ड के. सिक्युरीटीज) श्री भरतभाई शाह (बी. विजय एन्ड कं.)
श्री प्रदीपजी घीसुलालजी बदाभिया (सेलो ग्रूप) श्री विपुलभाई शाह (एशियन स्टार एन्ड कं. लि.)
श्री भंवरलालजी कोठारी (रिद्धि-सिद्धि बुलियन) डॉ. धनवंतभाई शाह (प्रबद्ध जीवन मासिक
श्री देवीचंदजी वच्छराजजी चोपड़ा (वच्छराज डेवलपर्स) पत्रिका के मानद् तंत्री) डॉ. बिपिनभाई दोशी (मुंबई युनिवर्सिटी,
श्री पृथ्वीराजजी कोठारी (रिद्धि-सिद्धि बुलियन) जैना-यु.एस.ए के प्रतिनिधि) श्री सुखराजजी नाहर (नाहर बिल्डर्स)
श्री उत्तमचंदजी बिरावत (श्री कंपिल तीर्थ) श्री प्रकाशजी बी. जैन (काउंसील जनरल ऑफ रवान्डा) श्री पदमजी संचेती (जयपुर जेम्स) श्री पारसजी गुंदेचा (गुंदेचा बिल्डर्स)
श्री प्रेमलभाई कापडिया (श्रीपाल रास के विरल प्रकाशक)
બીજા દ્વારા મળતાં દુઃખથી બચવા માટે ત્રણ વસ્તુ ખ્યાલમાં રાખવી.
એક, અન્ય પાસે અપેક્ષા રાખવી નહીં બે, કદાચ અવેક્ષા રાખી હોય તો તે પૂરી થાય તેવી જીદ રાખવી નહીં
ત્રણ, અપેક્ષા તૂટે ત્યારે વ્યક્તિને દોષિત માનવી નહીં
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