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________________ पन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी आचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक पैमाने पर कम्प्यूटर प्रोग्राम के द्वारा तद्रूप में ही संचय किया गया है. परिचय लेखन : चयन का कार्य पूरा होते ही प्रत्येक अक्षर हेतु शतक अनुसार, उपलब्ध विकल्पों अनुसार एवं भ्रम होने के स्थानों पर परिचय लेखन का कार्य प्रारंभ होगा. इसके पूर्ण होने पर इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जा सकेगा. देश के प्रमुख ज्ञानभण्डारों में स्थित महत्वपूर्ण हस्तप्रतों के संकलित सूचीकरण हेतु पूज्य श्रुतस्थविर मुनिराज श्री जंबूविजयजी म.सा. का प्रोजेक्ट : पाटण, खंभात, लिंबडी, जेसलमेर, पूना आदि भंडारस्थ अत्यावश्यक महत्वपूर्ण जैन एवं जैनेतर ताडपत्रीय व कागज पर लिखी विशिष्ट प्राचीन हस्तप्रतों को पूज्य श्रुतस्थविर मुनिवर श्री जम्बूविजयजी म.सा. के निर्देशन के अन्तर्गत श्रीसंघ के अनुपम सहयोग से उपरोक्त भंडारों की अपेक्षित हस्तप्रतों की माइक्रोफिल्मिंग व जेरॉक्सिंग करायी गयी थी. इन भंडारों के विविध सूचीपत्रों का मिलान कर एक सम्मिलित सूचीपत्र तैयार करने का सौभाग्य आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर को प्राप्त हुआ. कार्य अपने आप में बिल्कुल ही दुरूहतम था, पर अशक्य नहीं. दो चरणों में संपन्न इस संकलित सूची के विविध ग्यारह प्रकार से प्रिंट लिए गए जो लगभग २२०० पृष्ठों में समाविष्ट हैं. इसके अतिरिक्त अन्य विकल्प से भी लगभग १३००० पृष्ठों के प्रिन्ट व जेरॉक्स पूज्यश्री को उपलब्ध कर दी गई है. यह कार्य पूर्ण करने में तीन वर्षों का समय लगा. विविध प्रकार के कम्प्यूटर आधारित प्रोग्रामों का निर्माण : १. जैन विद्या में स्वशिक्षण के लिए नवीन प्रोग्राम विकसित करने की शृंखला में नवकार मन्त्र के गूढ़ रहस्यों व अर्थों को इस तरह सरलता एवं सहजता से समझाने के लिए कम्प्यूटर पर एक प्रोग्राम विकसित किया गया है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति बहुत ही कम समय में इसे समझ कर सीख सकता है. प्रकाशन के क्षेत्र में यहाँ नए आयाम प्रस्तुत किये गये हैं. संस्था में विकसित डबल एन्ट्री प्रोग्राम के तहत संस्कृत- प्राकृत आदि ग्रंथों की प्रूफ रीडिंग की जरूरत नहींवत् रह जाती है. वर्ड इन्डेक्स प्रोग्राम में प्रकाशित हो रहे ग्रन्थ में आए शब्द गाथा, श्लोक आदि की अकारादि अनुक्रम के निर्माण की उलझनें स्वतः समाप्त हो जाती है और महीनों तक चलने वाला कार्य कुछ ही दिनों में हो जाता है और सम्पादक और संशोधक का समय बच जाता है. जैन संघ के एक मात्र सीमंधरस्वामी प्रत्यक्ष पंचांग का गणित पूर्ण शुद्धिपूर्वक करने का प्रोग्राम भी मुख्य तौर पर यहीं विकसित किया गया है. आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी आचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी आदि विरचित पुस्तकों का कम्प्यूटरीकरण तथा यथावश्यक प्रकाशन कार्य जारी है एवं उन्हें web पर भी रखने का आयोजन है. અઢાર શીલાંગ અને અઢાર પ્રકારના બ્રહાયર્થના ઉપદેશક આવા છત્રીસ ગુણોથી યુક્ત આચાર્યોને વંદન યોજ્ય શ્રી મેહુલભાઈ શાહ શ્રીમતી મોનિકાબેન મ. શાહ, મુંબઈ 56
SR No.525262
Book TitleShrutsagar Ank 2007 03 012
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages175
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size32 MB
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