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पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी आचार्यपद प्रदान
महोत्सव विशेषांक
कृति
भी कृति, विद्वान, हस्तप्रत, प्रकाशन, पुस्तक आदि की सूक्ष्मातिसूक्ष्म विस्तृत सूचनाएँ खास तौर पर विकसित प्रोग्राम के द्वारा कम्प्यूटर पर प्रविष्ट की जाती हैं.
इस प्रणाली के द्वारा वाचक को यदि ग्रन्थ के सम्बन्ध में अल्पतम सूचनाएँ ज्ञात हों तो भी उनकी इच्छित विस्तृत सूचनाएँ सरलता से प्राप्त की जा सकती हैं. इस सूचना पद्धति का परम पूज्य साधु-भगवंतों, देशी-विदेशी विद्वानों तथा समग्र समाज ने भूरि-भूरि अनुमोदना की है. इस विशेष परियोजना के तहत अब तक निम्नलिखित कार्य सम्पन्न हए:
ग्रंथालय के कम्प्यूटर प्रोग्राम में निम्नलिखित सूचनाओं के आधार पर शोध संभव है :९६७५५
हस्तप्रत १२८६७६ १३६२८४
कृतियाँ हस्तप्रतों में उपलब्ध १८०४१५
कृतियाँ प्रकाशनों में उपलब्ध ५५५२३
विद्वान नाम (कर्ता/व्यक्ति/संपादक/प्रतिलेखक आदि के रूप में) ६७४०३
प्रकाशन १३९०८८
पुस्तक १९५५
ग्रंथमाला नाम ग्रंथालय के कम्प्यूटर प्रोग्राम में सूचनाओं का संपादन एवं प्रमाणीकरण :
लायब्रेरी प्रोग्राम में पूर्व प्रविष्ट सूचनाओं का सुधार, निरंतर नवीन सुविधाओं को उपलब्ध किये जाने के कारण पूर्व प्रविष्ट सूचनाओं को अद्यतन करने हेतु इन सूचनाओं के संशोधन, संपादन एवं प्रमाणीकरण के कार्य होते रहते हैं. ग्रंथानुयोग (कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग):
उपर्युक्त वर्णित व संपन्न किये गए सभी कार्य संस्था में ही विकसित किये गये कम्प्यूटर आधारित विशेष लायब्रेरी प्रोग्राम के तहत होते हैं. विद्वानों को महत्तम सूचनाएँ शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त हो सके, इसके लिए इस प्रोग्राम को नियमित रूप से उपयोगितानुसार अद्यतन करने हेतु निम्नलिखित कार्य किये गये:
१.इस प्रोग्राम में कार्यरत पंडितों के द्वारा प्रविष्टि, संपादन, प्रमाणीकरण तथा वाचकों हेतु विविध सूचनाओं को सरलतम पद्धति से न्यूनतम समय में प्राप्त किया जा सके एतदर्थ नियमित सुधार तथा नवीन सुविधाएँ प्रदान करने का कार्य किया गया.
२. वाचकों की इच्छित विशिष्ट प्रकार की सूचनायें कम्प्यूटर आधारित विशेष प्रोग्राम द्वारा उपलब्ध की गई.
३. लायब्रेरी प्रोग्राम जो पहले डॉसबेस था, उसे विंडो बेस बनाया गया है, जिससे किसी भी प्रकार का शोध व प्रविष्टि अल्पतम समय में तथा अनेक प्रकार से की जा सकती है.
४. संस्था कुल ३४ कम्प्यूटर, ३ लैप टॉप, २ स्कैनर, १ डीसी २९० केमरा, ७ प्रिन्टर १ रिको प्रिन्टर कम कॉपियर मशीन
સોળ વયન લિંધિ, સસણ સંયમ રુoો ગણ વિટાઘનીe|| સ્વરૂપની ડગીતા ચણાના 9 મીણ ગુણોથી યુકત નાણાને વંદ.|
નાથાથી વંદન
૪ સોમંથ છે શ્રીમતી ફાગુનીબેન કે. શાહ- શ્રી ડdicોશeભાઈ જે. શાહ, થામદાવાદ
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