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पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी आचार्यपद प्रदान
महोत्सव विशेषांक
१०८६००
हस्तप्रतों का फ्यूमिगेशन किया गया, १३५७६२
हस्तप्रतों की दशा, विशेषतादि लक्षणों की कोडींग हुई है. ३१६५
हस्तप्रतों की जिरॉक्स प्रतियाँ विद्वानों को उपलब्ध कराई गईं. सूचीगत सूचनाओं का संपादन व केटलॉग का प्रकाशन :
आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में संग्रहीत कम्प्यूटर पर प्रविष्ट दो लाख से अधिक हस्तप्रतों की सूक्ष्मातिसूक्ष्म सूचनाओं के डाटा को संपादित करने व प्रमाणित करने का कार्य बड़े पैमाने पर चल रहा है. इस कार्य के अंतर्गत प्रविष्ट आंकड़ों की सूक्ष्मातिसूक्ष्म छान-बीन, शुद्धि तथा वैधता आदि की परीक्षा की जाती है, संपादित व प्रमाणित होने से ही सूचनाओं को समय पर उचित पद्धति से शुद्धातिशुद्ध रूप में प्राप्त किया जा सकेगा. इस प्रोजेक्ट में अब तक किए गए कार्य की प्रगति निम्नलिखित है:
१६४४ कृति परिवारों की ४४५० कृतियाँ प्रमाणित की गईं. १८७७६ कृतियों की सूचनाओं का संपादन किया गया, ५८१६
आदि वाक्यों का संपादन किया गया. ३९१७ अंतिम वाक्यों का संपादन किया गया ६२८४ विद्वान माहिती का संपादन किया गया.
अन्य भंडारों में उपलब्ध विशिष्ट हस्तप्रतों की प्रतिलिपियों का संग्रहण : पूज्य मुनिश्री जंबूविजयजी द्वारा करवाई गई पाटण आदि मुख्य भंडारों में विद्यमान विशिष्ट ताडपत्रीय आदि प्रतों की झेरोक्स प्रतियां भी हजारों की संख्या में यहाँ उपलब्ध की गई है. आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार (ग्रंथालय):
प्रभु श्री महावीरस्वामी के पट्टधर आर्य सुधर्मास्वामी को समर्पित यह विभाग विविध माध्यमों से मुद्रित; जैसे शिलाछाप (लिथो). मुद्रित (प्रिन्टेड) पुस्तकें तथा प्रतें, इलेक्ट्रानिक मिडिया में कैसेट, सी.डी. आदि व सामायिक पत्र-पत्रिकाओं का व्यवस्थापन करता है. यहाँ पर संग्रहित १,४०,००० से अधिक पुस्तकों को २७ विभागों में रखा गया है. इन ग्रंथों की भाषा प्रायः संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी, ढुंढारी, मराठी, बंगाली, उड़िया, मैथिली, पंजाबी, तमिल, तेलगु, मलयालम, आदि के साथ-साथ अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, अरबी, तिब्बती, भूटानी आदि विदेशी भाषाएँ भी है,
परिणामतः यह ज्ञानतीर्थ जैन एवं भारतीय विद्या का विश्व में अग्रणी केन्द्र बन गया है. इस संग्रह को अभी इतना अधिक समृद्ध करने की योजना है कि जैन धर्म से सम्बन्धित कोई भी जिज्ञासु यहाँ पर अपनी जिज्ञासा पूर्ति किए बिना वापस न जाय.
यह विभाग जैन ग्रन्थों के अध्ययन एवं अध्यापन की भी सुविधा उपलब्ध कराता है. भारत-भर में यत्र-तत्र विहार कर रहे
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આચાર્યોને વંદન
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થી 15મારડિશોરભાઈ શાહ શ્રીમતી હીનાબેન કે. શાહ, મુંબઈ શ્રી યાવિંદભાઈ કે. શાહ શ્રીમતી પારુલોન એ. શાહ, aવાઈ
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