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________________ पंन्यास प्रवरश्री अमृतसागरजी अाचार्यपद प्रदान महोत्सव विशेषांक भगवान महावीर के १० श्रावक आशिष शाह श्री आनंद * वाणिज्यग्राम के निवासी थे. * १२ करोड सुवर्णमुद्रा के मालिक थे. उसमे ४ करोड निधान में, ४ करोड व्याज मे, और ४ करोड व्यापारमे लगी हुए थी. * १०,००० गायो का एक गोकुल ऐसे ४ गोकुल थे. * भगवान के पास श्रावक के १२ व्रत का ग्रहण किया था. * अंतिम काल में पौषध व्रतमें ही उनको अवधिज्ञान हुआ था. एक मास का अनशन करके प्रथम देवलोक में देव हुए. श्री कामदेव * चंपा नगरी के वासी थे. भद्रा नामक पत्नी थी. * १८ करोड सुवर्णमुद्रा के मालिक थे, उसमे ६ करोड निधान में, ६ करोड व्याज मे और ६ करोड व्यापर मे उपयुक्त थे. *६ गोकुल थे. * भगवान की देशना सुनकर पत्नी सहित श्रावक के १२ व्रत स्वीकारे. * एक रात में देवने घोर उपसर्ग किये फिर भी समता भाव से सहन करके धर्म में अडग रहे. दूसरे दिन भगवानने अपनी देशना में उनकी प्रशंसा की. *२० साल श्रावक धर्म का पालन करके अंत मे समाधिमरण पा कर प्रथम देवलोकमें गये. श्री चुल्लनीपिता * वाराणसी नगरी में रहेते थे, श्यामा नाम की पत्नी थी. *२४ करोड सुवर्णमुद्रा के मालिक थे, ८ करोड निधान में, ८ करोड व्याज में और उतना ही धन व्यापरमें लगा हुआ था. २८ गोकुल थे. * भगवान की देशना सुनकर श्रावक के १२ व्रत लिए थे. * अंत में समाधिपूर्वक मृत्यु पाकर प्रथम देवलोक में देव हुए. श्री सुरादेव * वाराणसी नगरी के निवासी थे. धान्या नामक पत्नी थी. * कामदेव श्रावक जितनी ही संपत्ति एवं गोकुल थे. • भगवान की देशना सुनकर श्रावक के १२ व्रत लिए थे. अंत मे मृत्यु पा कर प्रथम देवलोक में देव हुए. श्री चुल्लशतक * आलंभिका नगरी के रहेवासी थे. बहुला नामक पत्नी थी. 109
SR No.525262
Book TitleShrutsagar Ank 2007 03 012
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages175
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size32 MB
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