________________
पंन्यास प्रवर श्री अमृतसागरजी अाचार्यपद प्रदान
महोत्सव विशेषांक
जावडशा
युगप्रधान वज्रस्वामी धर्मगुरु थे.
वि. १०८ में शत्रुजय तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाया था. खेमा हडालीया
मुहम्मद बेगड़ा के समय में गुजरात में पड़े हुए दुष्काल में समस्त गुजरात को भोजन कराके 'एक वाणियो शाह अने बीजो शाह पादशाह' कहावत को जन्म दिया. मोतीशा
मुंबई के अति प्रसिद्ध व्यक्ति थे. उन्होंने पालिताणा पहाड के बीच में रही हइ कुंतासर खाई को समतल करवा कर मोतीशा ट्रंक का निर्माण किया. सं. १८८५ मुंबई के भायखल्ला में आदिनाथजी का मंदिर एवं पांजरापोल का निर्माण किया.
महारानी विक्टोरिया भी उनका सन्मान करती थी. हठीसिंह शेठ
अहमदाबाद के निवासी. अहमदाबाद दिल्ली दरवाजा के बाहर उन्होंने बावन जिनालय का निर्माण किया. जो हठीसिंह की वाडी नाम से प्रसिद्ध है. प्रतिष्ठा के समय समग्र भारत से श्रीसंघ को आमंत्रित किया.
__ शेठ प्रेमाभाई के साथ मिलकर सिवील होस्पिटल का निर्माण किया. कस्तुरभाई लालभाई शेठ
गुजरात के श्रेष्ठ महाजन, भारत के विख्यात उद्योगपति व जैन संघ के मुख्य अग्रणी.
शिक्षण क्षेत्र के प्रखर हिमायती थे. अतः उन्होंने नये शिक्षा केन्द्रों के निर्माण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहायता की. जिसमें से कुछेक देश-विदेश में अतिप्रसिद्ध है. अहमदाबाद एज्युकेशन सोसायटी, एल. डी. एन्जिनियरिंग कॉलेज, अहमदाबाद गुजरात युनिवर्सिटी, इंडियन इन्स्टिट्युट ऑफ मेनेजमेन्ट, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर.
जैन संघ के प्रमुख बनने के बाद आणंदजी कल्याणजी पेढी के तहत रहे हुए राणकपुर, आबु, कुंभारीयाजी, गिरनार, तारंगा आदि जिनालयों का जीर्णोद्धार करवाया.
जैन समाज के किसी भी अतिविकट से भी विकट प्रश्नों को अपनी सूझ-बूझ और कौशल्य से सुलझाने की अपूर्व प्रतिभा थी. चाहे वो राजकीय या धार्मिक हो.
ई. १९४८ व १९५१ में गुजरात राज्य में पडे हए दुष्काल के समय रविशंकर महाराज के साथ रहकर मदद की व्यवस्था की. डॉ. विक्रमभाई साराभाई
उन्होंने अहमदाबाद में एक्स्पेरिमेन्टल सेटेलाईट कॉम्युनिकेशन अर्थ स्टेशन की स्थापना की.
आंध्रप्रदेश के सागर किनारे पर श्री हरिकोटा का आकाशी मथक की स्थापना की.ई. १९७५ में भारत का स्वदेशी उपग्रह का स्वप्न साकार हुआ, उसका मंगलाचरण किया.
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा को भारत के अणुविज्ञान का पिता कहा जाता है. तो डॉ. साराभाई को भारत के अंतरिक्षयुग का पिता कहना अनुचित नही होगा.
खगोल विज्ञान के अंतर्राष्ट्रीय परिषद में निर्णय लिया गया कि चंद्रमा पर स्थापित 'बेसेल ए' का नाम साराभाई रखा जाय. उन्होने कॉम्युनिटी सायन्स सेन्टर की रचना की थी.
108