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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुत सागर, द्वितीय आषाढ 2052 | अहं का अंधकार गच्छाधिपति आचार्यश्री कैलाससागरसूरीश्वरजी के आचार्य श्री पासागरसूरीधरजी शुभाशीर्वाद दुर्विचारों का संगठन बहुत खतरनाक होता है. यह व्यक्ति को परमात्मा तक पहुँचने नहीं देता. असत्य के माध्यम से मिला हुआ सुख क्षणमात्र आनंद देता है लेकिन उसका भविष्य कितना दुःखमय होता है, क्या इसका कभी विचार किया है? आचार्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की प्रेरणा से जो व्यक्ति परिणाम को देखकर अपना कार्य नहीं करता उसका भविष्य कष्टमय य कष्टमय | श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा बन जाता है. क्षणिक सुख के लिए वह व्यक्ति अपने अनंत भव बिगाड़ लेता है. अगर आपको आत्मा से परिचय प्राप्त करना है तो आप को अपना आचरण संचालित संस्थाएँ आत्ना के अनुकूल बनाना पड़ेगा. जीवन में यदि सत्य और सदाचार की प्रतिष्ठा आपका हार्दिक स्वागत करती हैं. नहीं होगी तो जीवन दुर्गन्धमय बन जाएगा. उसकी पवित्रता नष्ट हो जायेगी. इसलिए | उसकी पवित्रता नष्ट हो जायगा. इसलिए १.श्री महावीरालय ज्ञानियों ने कहा है कि अगर आपको जीवन में कुछ पाना है तो आप असत्य की | | 2. आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञान मंदिर भूमिका छोड़ दें और अपने जीवन को सदगणों से सुगंधमय बनार्वे. ___ "मैं सब जानता हूँ' यह मन का दंभ है. मन के इस अहम् को छोड़ दो. परमात्मा (क) देवदिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागार के द्वार पर मूर्ख बनकर जाओगे तो विद्वान बन कर लौटोगे, जीवन में कुछ प्रकाश (ख) आर्य सुधर्मा स्वामी श्रुतागार लेकर आओगे. (ग) सम्राट सम्प्रति संग्रहालय एक विद्वान् एक संत के पास गया. विद्वान् के मन में अहम् था. वह सोचता (घ) आर्य रक्षितसूरि शोध सागर (कम्प्यूटर केन्द्र) था कि मैं सब कुछ जानता हूँ. वह संत से कहने लगा कि मैं (M.A. B.ED.) (3) श्री महावीर दर्शन (प्रस्तावित) हूँ. मैंने (PhD.) की है. मैं आत्मा के बारे में कुछ जानना चाहता हूँ. जब तक मन | 3. श्री जैन आराधना भवन (उपाश्रय) में अहम् बैठा हो तब तक जानकारी कैसे प्राप्त होगी? 4. श्री आचार्य कैलाससागरसूरि स्मृति मंदिर [शेष पृष्ठ ७पर | 5. मुमुक्षु कुटीर पृष्ठ 2 का शेष] २०वी सदी के महान जैनाचार्य.... 6. श्रीमती गुलाबदेवी सोहनलाल चौधरी जैन भोजन शाला | 7. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, श्री वीरप्रभु प्राचीन जिनालय बोरीज, गांधीनगर महासंघ के अध्यक्ष श्री महाभदंत और विश्व हिन्दु परिषद के श्री सिंघलजी ने अपने विशेष जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्र : अपने भाषण में आचार्यश्री की मुक्त कंठ से प्रसंशा की. अन्त में आचार्यश्री ने अपने श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र प्रभावी वक्तव्य में कहा कि अहिंसा के माध्यम से हम विश्व में शान्ति का प्रचार कोबा, गांधीनगर - 382 009. प्रसार कर सकते है, परन्तु याद रहें पहले हमें अपने सिद्धान्तों को आत्मसात् करना फोन- (02712) 76252,76204, 76205 होगा वरन् विश्वशान्ति के लिये दिये जाने वाले नारों और भाषणों का कोई मूल्य | पृष्ठ 5 का शेष] ग्रंथावलोकन... नहीं होगा. के दर्शनार्थ पधारे तब उपहार स्वरूप अर्पण किया गया है. पूज्य गणिश्री पूज्यश्री नेपाल से दि. 23.5.96 को विहार कर विविध ग्राम, नगर, उपवन | देवेन्द्रसागरजी म. सा. ने इस ग्रंथ का संकलन संपादन किया है. उन्होंने सन् 94 में पद स्पर्शना करते हुए ऐतिहासिक नगर अजीमगंज की पुण्य भूमि में चातुर्मास | के आचार्यश्री के दिल्ली (चांदनी चौक) चातुर्मास की अवधि में हुए प्रवचनों को हेतु पधार रहे हैं. स्मरण रहे, यह वही सौभाग्यशाली नगर है जहाँ आचार्य भगवन्त | संकलित कर आकर्षक पुस्तकाकार में समाज के सामने प्रस्तुत किया है. का जन्म हुआ था. आजादी के पूर्व यहाँ के श्रद्धावन्त श्रावक रत्नों से यह नगर | याकिनी महत्तरा धर्म सुनु आचार्य श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा रचित पूरे भारत में सुप्रसिद्ध था.जगत शेठ, राय बहादुर श्री धनपतसिंहजी दूगड़, महाराज धर्मबिन्दु ग्रंथ इस 'गुरुवाणी' का मूल स्रोत है. ग्रंथनाम : 'गुरुवाणी', मूल प्रवचनकार : आचार्य श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी, श्री बहादुरसिंहजी सिंधी, श्री निर्मल कुमारजी नवलखा, श्री बुद्धसिंहजी दुधोरिया, संकलन व संपादन : गणिवर्य श्री देवेन्द्रसागरजी, भाषा: हिन्दी, आवृत्ति : प्रथम, श्री पुरनचंदजी नाहर आदि जैन परिवारों की कीर्ति और धर्म कार्यों को देश भर वि. सं. 2052, मूल्य : 400/-, प्रकाशक : श्री अष्टमंगल फाउण्डेशन - कोबा, में आज भी याद किये जाते हैं." गांधीनगर - 382 009. . श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र संचालित Book Post/Printed Matter आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञान मंदिर (पूर्णतया कम्यूटरीकृत शोध संस्थान) हेतु आवश्यकता है सह निदेशक (प्रशासन) : कार्यः ज्ञान मंदिर में संग्रहालय, ज्ञान-भंडार, कम्प्यूटर व शोध विभाग की प्रवृत्तियों का संयोजन. योग्यता :उद्यमी, अनुभवी, परिपक्व, धार्मिक तथा उम्र 60 वर्ष से कम. भारती विद्या (विशेष रूप से जन विद्या) एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में रूचि तथा इस क्षेत्र में चल रही योजनाओं के संचालन व नई योजनाओं के क्रियान्वयन की क्षमता. अपेक्षित वेतन एवं वायोडाय के साथ निम्न पते पर आवेदन करें. Published & Despatched by Secretary, Sri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र Koba,Gandhinagar-382009.h: 76204,76205,76252 कोबा, गांधीनगर 382 009 Printed at Dhvani Graphics, Vasana, Ahmedabad. Ph: 6634333 For Private and Personal Use Only
SR No.525254
Book TitleShrutsagar Ank 1996 07 004
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1996
Total Pages8
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
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