SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद : कुलपतिस पूछयुं- 'हे भद्र! तुं कोण छे? क्याथी आव्यो छे? त्यारे तेणे का- 'हे भगवन! कहुं छु ते तमे सांधलो. गाहा : सिद्धत्थपुरे राया सुग्गीवो नाम आसि विक्खाओ। · कणगवई से देवी तीए सुओ सुरह-नामो हं ।।४१।। संस्कृत छाया :सिद्धार्थपुरे राजा सुग्रीवो नामाऽऽसीद् विख्यातः । कनकवती तस्य देवी तस्याः सुतः सुरथनामाऽहम् ।।४१।। गुजराती अनुवाद : सिद्धार्थपुंटमां विख्यात सुग्रीव नामनो राजा हतो. ते राजानी कनकवती राणी हती तेनो सुरथ नामनो हुँ पुत्र छु. हिन्दी अनुवाद : सिद्धार्थपुर में एक प्रसिद्ध राजा सुग्रीव था। उसकी रानी कनकवती का सुरथ नामक मैं पुत्र हूँ। गाहा : अइवल्लहोत्ति पिउणा जुवराय-पयम्मि बाल-भावेवि । अहिसित्तो अवमन्निय पुत्तं जिटुं तु सुप्पइष्टुं ।।४२।। संस्कृत छाया : अतिवल्लभ इति पित्रा, युवराजपदे बालभावेऽपि । अभिषिक्तोऽवमत्य, पुत्रं ज्येष्ठं तु सुप्रतिष्ठम् ।।४२।। गुजराती अनुवाद : माता-पिताने अत्यंत प्रिय होवाथी पोताना मोटा पुत्र सुप्रतिष्ठनी अवगणना कीने बाल्यावस्थामां ज मने पितास युवराजपदे स्थापन कर्यो! हिन्दी अनुवाद : माता-पिता को अत्यन्त प्रिय होने से उन्होंने अपने बड़े बेटे सुप्रतिष्ठ की अवगणना कर बाल्यावस्था में ही मुझे युवराज पद पर स्थापित कर दिया।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy