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________________ गाहा : अह अन्नया कयाइवि खय-वाहीए मयम्मि जणयम्मि । तस्स पए हं राया अहिसित्तो मंति-वग्गेण ।।४३।। संस्कृत छाया : अथान्यदा कदाचिदपि, क्षयव्याधिना मृते जनके । - तस्य पदेऽहं राजाऽभिषिक्तो मन्त्रिवर्गेण ।।४३।। गुजराती अनुवाद :. हवे कोइ वखत क्षयना रोगथी पिता मृत्यु पामे छते मंत्रीवर्गे पिताना स्थाने मारो राजा रुपे अधिषेक कर्यो. हिन्दी अनुवाद : बाद में क्षयरोग से पिता की मृत्यु हो जाने पर मन्त्रियों ने पिता के स्थान पर राजा के रूप में मेरा अभिषेक कर दिया। गाहा: जिट्ठस्स अन्न-जणणी-तणयस्स उ तस्स सुप्पइट्ठस्स । विज्जाहरण केणवि कय-उवयारेण दिनाओ ।।४४।। नहगामिणि-पमुहाओ विज्जाओ तप्पभावओ तेण । काऊण य संगाम अहिट्ठियं अप्पणा रज्जं ।।४५।। युग्मम्।। संस्कृत छाया : ज्येष्ठस्य अन्यजननीतनयस्य तु तस्य सुप्रतिष्ठस्य । विद्याधरेण केनाऽपि कृतोपकारेण दत्ताः ।।४४।। नभोगामिनिप्रमुखा विद्यास्तत्प्रभावतस्तेन । कृत्वा च सझाममधिष्ठितमात्मना राज्यम् ।।४५।। युग्मम्।। गुजराती अनुवाद : ते ओरमान मोटा भाई सुप्रतिष्ठने तेना उपकारथी खुश थयेला कोई विद्याधरे नभोगामिनी वगेरे विद्या तेने आपी- अने ते विद्याना प्रभाव थी युद्ध करीने तेणे पोता, राज्य मेलव्यु, हिन्दी अनुवाद : बड़े भाई सुप्रतिष्ठ को उनके उपकार से खुश हुए किसी विद्याधर ने
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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