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________________ गाहा :महुर-वयणेण तीए आपुट्ठा सुयणु! कीस तं रुयसि । कत्तो समागया इह भीसण-रन्नम्मि इक्कल्ला? ।।१६।। संस्कृत छाया : मधुरवचनेन तयाऽऽपृष्टा सुतनो! कस्मात् त्वं रोदिषि? । कुतस्समागतेह भीषणारण्ये एकाकिनी ।।१६।। गुजराती अनुवादः : मधुर वचब बड़े तापसीस पूछयुं, 'हे सुतनु! तुं शा माटे रुदन करे छे? अने आ भयंकर अटवीमां स्काकी तुं क्या थी आवी? हिन्दी अनुवाद : मधुरभाषी तपस्विनी ने पूछा हे बेटी तुम क्यों रो रही हो? और इस भयंकर जंगल में तुम अकेली कहाँ से आई? गाहा : काउं तीइ पणामं तत्तो वियलंत-अंसुयाए मए । कुंजर-हरणाईओ सिट्ठो सव्वोवि वुत्तंतो ।।१७।। संस्कृत छाया : कृत्वा तस्यै प्रणामं ततो विगलदश्रुकया मया । कुञ्जरहरणादिकः शिष्टः सर्वोऽपि वृत्तान्तः ।।१७।। गुजराती अनुवाद : तेने प्रणाम करीने, वहेता अश्रुप्रवाहवाली में हाथी बड़े अपहरण आदि समस्त वृत्तांत कह्यो। हिन्दी अनुवाद : उस तपस्विनी को प्रणाम कर मैंने बहते हुए आसुओं सहित हाथी के द्वारा किए अपहरण के वृत्तान्त को सुनाया। गाहा :अह तावसीए भणियं इमस्स जोगा न होसि तं सुयणु!। तहवि हु किमित्थ कीरइ स-कम्म-वसगम्मि जिय-लोए? ।।१८।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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