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________________ 28 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 2, अप्रैल-जून, 2016 अच्छा अवसर मिलता है। साधुजनों के उपदेशों से शिविर व कक्षाओं के माध्यम से धर्म को सीखने, समझने का अवसर मिलता है जिससे धर्म की प्रभावना होती है। वर्षाकाल में प्राय: व्यवसाय, शादी-विवाह आदि नहीं होने से श्रावकों को धर्म करने के लिए अधिक समय मिल जाता है। सबसे अधिक पर्व वर्षायोग में ही आते हैं- जैसे गुरुपूर्णिमा, वीरशासन जयन्ति, मुकुटसप्तमी, रक्षाबन्धन, षोडशकारण पर्व, दशलक्षण पर्व, दीपावली (भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव) आदि जो जैन धर्म की प्रभावना के आधार स्तम्भ होते हैं। पर्व धर्म की प्रभावना में निमित्त होते हैं इसी कारण साधुजन वर्षायोग की स्थापना करते हैं। यह चार माह का वर्षायोग साधना के लिए अनुकुल मौसम होता है। इसमें न अधिक गर्मी होती है न अधिक सर्दी होती है। समशीतोष्ण रहता है जिससे व्रत साधना अच्छी तरह से हो जाती है। साधु एवं साध्वी ऐसे स्थानों पर वर्षायोग करते हैं जिस स्थान पर संयम की विराधना न हो। यदि किसी भी प्रकार से संयम की विराधना होने लग जाए तो साधुजन उस स्थान से की हुई मर्यादा तक विहार भी कर सकते हैं। चातुर्मास की स्थापना आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी को होती है और समाप्ति कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को होती है। आषाढ़ शक्ल से कार्तिक कृष्णा तक परे चार माह नहीं होते हैं केवल साढ़े तीन माह ही होते हैं। उसका कारण यह है कि कार्तिक कृष्णा अमावस्या को भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति हई थी और जैसे ही मुनियों, साधुओं को ज्ञात हुआ वैसे ही वे साधुजन अपने वर्षायोग का निष्ठापन करके भगवान महावीर स्वामी के दर्शन हेतु गमन कर गये। इस कारण से चातुर्मास साढ़े तीन माह का रह गया। इसी कारण से ही भगवान महावीर के निर्वाण महोत्सव के बाद ही वर्षायोग का विसर्जन करते हैं। आप सभी चातुर्मास के पावन अवसर पर अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को धर्ममय बनायें। सन्दर्भ प्राकृत-हिन्दी शब्दकोश, पृष्ठ नं० ३१७ एकार्थक कोश, पृष्ठ नं० ५८ वही, पृष्ठ नं० ३१४, परिशिष्ट - २ मूलाचार (उत्तरार्ध), पृष्ठ ११९, गाथा नं० ९११ भगवती आराधना (मूलाराधना), विजयोदया टीका पृष्ठ नं० ६३३-६३४
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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